पं. नवल किशोर राव ने अपनी गायकी से राजस्थान की मांड के विभिन्न शैलियों को सुनाकर समृद्ध संस्कृति से रूबरू करवाया. कार्यक्रम के संयोजक राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि पंडित नवल किशोर ने राजस्थान के विभिन्न आंचलों की मांड की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया.
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Jaipur: साप्ताहिक कार्यक्रमों की श्रंखला में कलाकार पं. नवल किशोर राव ने अपनी गायकी से राजस्थान की मांड के विभिन्न शैलियों को सुनाकर समृद्ध संस्कृति से रूबरू करवाया. कार्यक्रम के संयोजक राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि पंडित नवल किशोर ने राजस्थान के विभिन्न आंचलों की मांड की प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया.
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उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत मारवाड़ की मांड ''फूल बनेडो रे नादानी बना बनाडो बन्ना थे तो हमला देत आजो जी'', उसके बाद जैसलमेर की मांड ''बना थाने चंद्रबदनी परनाउ महारा रंग झर हालो बनड़ा जैसलमेर'' और जयपुर की मांड ''काली ए कलायन उमटियो रे टीडिया रिमझिम बरसे लो मेह गा कर नई पीढ़ी को राजस्थानी गायकी से रूबरू करवाया. कार्यक्रम के अंत में सोहनी धांधडा की रचना ''थारो ढोला भुलणो स्वभाव चंदा लाडी ने भुल्या ना सरे जी म्हारा राज'' सुना कर मंत्रमुग्ध का दिया. इनके साथ हारमोनियम पर फजल मोहम्मद और तबले पर दिलशाद खान ने असरदार संगतकर कार्यक्रम को ऊंचाईया दी. कार्यक्रम का संचालन रमेश पुरोहित ने किया.
Reporter- Anup Sharma
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