जयपुर न्यूज: फेलियर-उपज का दाम 1100 रुपये होने के बावजूद भी किसानों से 30 प्रतिशत खरीद ही राजफैड कर पाया.30 जून को खरीद का समय खत्म हो गया था,लेकिन राजफैड के आग्रह के बाद केंद्र सरकार ने खरीद की अंतिम बढ़ाई.
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जयपुर: राजस्थान में समर्थन मूल्य पर खरीद का कल आखिरी दिन है,लेकिन हैरानी की बात ये है कि राजफैड किसानों से सिर्फ 30 प्रतिशत ही उपज खरीद पाया. इतना ही नहीं राजफैड के आग्रह के बाद केंद्र ने दो बार समय भी बढ़ाया,लेकिन सहकारिता विभाग खरीद लक्ष्यों से कौसो दूर रहा.
बारदाने की कमी सबसे बड़ी वजह
राजस्थान के अन्नदाताओं से समर्थन मूल्य पर खरीद का राजफैड को बार भी मौका मिला.किसानों को उपज का दाम भी ज्यादा था ,लेकिन ना जाने क्यों किसानों ने उपज खरीद में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं दिखाई या यूं भी कह सकते है कि सहकारिता विभाग ने उपज की खरीद के लिए कोई खास कोशिश नहीं की.
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि किसानों को समय पर बारदाने उपलब्ध नहीं हुए,जिस कारण बार बार किसानों को इतंजार करना पड़ा.नतीजा ये निकला की राजफैड केंद्र सरकार के उपज खरीद के लक्ष्यों के आसपास भी नहीं पहुंच पाया.किसानों से सरसों और चने की सिर्फ करीब 30 प्रतिशत ही उपज की खरीद हो पाई.
जाने कितना खरीद का लक्ष्य,कितनी उपज खरीद-
फसल किसानों का रजिस्ट्रेशन खरीद लक्ष्य खरीद हुई
(मीट्रिक टन) (मीट्रिक टन)
सरसों 2,29,001 15,19,318 4.50 लाख
चना 1,17,351 6,65,028 2.50 लाख
कुल 3,46,352 21,84,346 7 लाख
बार बार बढ़ाई तारीख
30 जून को खरीद का समय खत्म हो गया था,लेकिन राजफैड के आग्रह के बाद केंद्र सरकार ने खरीद की अंतिम तारीख 14 जुलाई की.इसके बाद भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ा तो फिर से राजफैड ने तारीख बढ़ाने का आग्रह किया.24 जुलाई तक खरीद की अंतिम तारीख बढ़ाई गई.यानी तारीख पर तारीख तो मिलती गई.लेकिन खरीद पर खरीद किसानों से इतनी नहीं हो पाई,जितनी होनी चाहिए थी.
बाजार से ज्यादा समर्थन मूल्य,फिर भी फिसड्डी
उपज बाजार मूल्य समर्थन मूल्य अंतर
चना 4200 प्रति क्विं. 5335 प्रति क्विं. 1100 रु.प्रति क्विं.
सरसों 4500 प्रति क्विं. 5450 प्रति क्विं. 950 रु.प्रति क्विं.
अब कल के बाद नहीं बढ़ेगी अंतिम तारीख
किसानों को अपनी उपज का दाम बाजार मूल्य से ज्यादा मिल रहा था,लेकिन इसके बावजूद खरीद हो ही नहीं पाई.अब कल की तारीख भी निकल जाएगी,कल खरीद का आखिरी दिन है.लेकिन अबकी बार कोई तारीख नहीं बढेगी.यानि सीधे तौर पर हम ये कह सकते है कि समर्थन मूल्य पर खरीद में राजफैड फेल रहा.