Rajasthan News: क्या बसों में हो रही AIS मानकों की पालना? भांकरोटा अग्निकांड के बाद सुरक्षा पर उठ रहे सवाल
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Rajasthan News: क्या बसों में हो रही AIS मानकों की पालना? भांकरोटा अग्निकांड के बाद सुरक्षा पर उठ रहे सवाल

Rajasthan News: भांकरोटा में गैस टैंकर अग्निकांड के बाद सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. जिस तरीके के से एक बस में कई यात्रियों के जिंदा जलने से मौत हुई, उसके बाद से बसों में AIS मानकों की पालना को लेकर सवाल उठ रहे हैं.

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Rajasthan News: भांकरोटा में गैस टैंकर अग्निकांड में जिस तरह से एक बस में कई यात्रियों की जलने से मौत हुई है, उससे बसों में सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल यह है कि क्या बसों में AIS मानकों की पालना हो रही है ? दरअसल, बड़ी बसों में एक गेट के साथ 2 इमरजेंसी एग्जिट होने जरूरी हैं. केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के नियम 125 C के उप नियम 5 के अनुसार सिटिंग बस में AIS- 52, स्लीपर कोच में AIS-119 नियमों की पालना होनी चाहिए. वहीं, फुल्ली बिल्ट बॉडी वाली बस में AIS-153 मानकों के तहत बस की बॉडी बिल्डिंग और अनुमोदन होना जरूरी है, लेकिन केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के इन नियमों की बसों के संचालन में पालना नहीं होती है. 

बसों में नहीं मिलते इमरजेंसी एग्जिट गेट
बसों में 2 इमरजेंसी एग्जिट गेट होने चाहिए, लेकिन इन इमरजेंसी एग्जिट गेट के स्थान पर भी सीट लगा दी जाती हैं. ऐसे में बस में आग लगने या अन्य किसी आपदा के समय यात्री बस के अंदर से बाहर नहीं निकल पाते. बसों की जो लम्बाई वाहन के पंजीयन के समय होती है, उसे बढ़ा दिया जाता है. इन गड़बड़ियों को लेकर जी मीडिया ने बसों का रियलिटी चेक किया. वहीं, जयपुर आरटीओ प्रथम की टीमों ने ऐसी बसों के चालान और जब्ती की कार्रवाई की. इस दौरान कुल 10 बसों को मौके से ही जब्त किया गया.

बसों में गड़बड़ियां कैसी-कैसी ?
स्लीपर बसों में सीटिंग सीट की संख्या कम कर दी जाती है. निर्धारित स्लीपर से 8 से 10 तक स्लीपर सीट बढ़ा दी जाती है. बस की निर्धारित लम्बाई से 1 से डेढ़ मीटर तक लंबाई बढ़ा दी जाती है. बस को ओवर हैंग किए जाने से बस का बैलेंस खराब होता है. बस में इमरजेंसी एग्जिट वाली जगह खाली होनी चाहिए, लेकिन यहां पर सीट लगा देते हैं, इससे आपदा में निकल नहीं सकते है. बसों में इमरजेंसी एग्जिट वाली जगह पर कांच तोड़ने को हथौड़ा नहीं रहता है. बस में लगेज बॉक्स को पूरी चैसिस पर लगा देते, इससे बैलेंस बिगड़ता है. बसों की छतों पर भी लगेज ढोया जाता, जिससे हादसे की आशंका रहती है. बस का गेट भी छोटे साइज का रहता, इससे 2 यात्री एक साथ नहीं निकल सकते है.

रिपोर्टर- काशीराम चौधरी

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