जयपुर के फुलेरा विधानसभा रेनवाल कस्बे में लगातार लंपी वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है. वैक्सीन के अभाव में पशु चिकित्सा विभाग की परेशानी बढ़ने लगी है.
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Jaipur: जिले के फुलेरा विधानसभा रेनवाल कस्बे में श्री गोपाल गौशाला में लंपी वायरस की एंट्री होने से हड़कंप मच गया है. गोपाल गौशाला प्रबंधन ने तुरंत प्रभाव से तत्परता दिखाते हुए लंपी वायरस का उपचार शुरू कर दिया. फिलहाल घरेलू उपचार से सभी गाय सुरक्षित बची हुई है, गौशाला अध्यक्ष कैलाश शर्मा की सूझबूझ एवं रिटायर्ड आईएएस प्रदीप बोरेट के निर्देश अनुसार दी गई होम्योपैथिक दवाई से गौवंश सुरक्षित है.
क्षेत्र में लगातार लंपी वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है. वैक्सीन के अभाव में पशु चिकित्सा विभाग की परेशानी बढ़ने लगी है. चिकित्सा विभाग के अनुसार किशनगढ़ रेनवाल क्षेत्र में अब तक करीब 148 से अधिक संक्रमित गौवंश पाए जा चुके हैं. हालांकि चिकित्सा विभाग द्वारा रेनवाल क्षेत्र में 77 गाय पशुपालकों की बताई जा रही हैं, वहीं 71 गाय किशनगढ़ रेनवाल एवं आसपास की गौशालाओं की बताई गई हैं.गौशाला के अध्यक्ष कैलाश शर्मा ने बताया कि किशनगढ़ रेनवाल गौशाला में वर्तमान में करीब 90 गाय लंपी वायरस से संक्रमित हो चुकी है. एक साथ आठ दर्जन से अधिक गायों के लंपी वायरस से ग्रसित हो जाने से गौशाला एवं अस्पताल प्रशासन में भी खलबली मच गई है. हालांकि संक्रमित गायों के बचाव के लिए गौशाला प्रबंध समिति द्वारा उनका उपचार किया जा रहा है.
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शर्मा ने बताया कि गायों को संक्रमण से बचाने के लिए फिटकरी के पानी से निहलाने के साथ-साथ होम्योपैथिक दवा देकर बचाव का उपचार किया जा रहा है, जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हो रहें हैं. चिकित्सा विभाग के अनुसार लंपी वायरस से ग्रसित गायों के शरीर में जगह-जगह गांठे पड़ गई हैं, वहीं उनके पैरों में भी लगातार रक्त स्त्राव हो रहा है. रेनवाल चिकित्सा विभाग द्वारा संक्रमित मवेशियों के इलाज के लिए किशनगढ़ रेनवाल ब्लॉक में 6 टीमों का गठन किया गया है. चिकित्सा प्रभारी डॉ. सूरजमल दरिया ने बताया कि क्षेत्र के मंडा भीमसिंह, भादवा, भैंसलाना, बागावास, बधाल एवं रेनवाल में अलग-अलग टीमों का गठन कर लंपी वायरस से संक्रमित गायों का उपचार किया जा रहा है. इसके लिए अभी तक अस्पताल प्रशासन को वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुई है. जिसके चलते सपोर्टिव ट्रीटमेंट द्वारा मवेशियों को ठीक करने के प्रयास किए जा रहें हैं. अस्पताल में उपलब्ध निशुल्क दवाइयों से भी ठीक करने के प्रयास किए जा रहें हैं, फिर भी यदि कोई दवाई उपलब्ध नहीं है तो पशुपालक को बाहर की दवाई लिखी जाती है.
Reporter - Amit Yadav
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