‘हर घर तिरंगा‘ अभियान के अंतर्गत डॉ. कल्ला ने अकादमी परिसर में तिरंगा फहराया. समारोह में कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विभाग एवं अकादमी के नवाचारों पर प्रकाश डाला.
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Jaipur: वेद विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर है. इसमें निहित ज्ञान के उपयोग से विश्व का कल्याण हो सकता है. वेद पुस्तक नहीं है, विज्ञान है. वह ब्रह्म से निकली सूक्ष्म वाणी है जो प्रत्येक पदार्थ में रहती है. वेदों की भाषा संस्कृत धर्मनिरपेक्षता का एक महानतम उदाहरण प्रस्तुत करती है. संस्कृत भाषा भारत की संस्कृति के प्राण हैं. यह बात आज कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने राजस्थान संस्कृत अकादमी के राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह में कही.
उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार द्वारा 2012 में बनाए संस्कृत आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं करके मौजूदा केंद्र सरकार संस्कृत भाषा के विकास में बाधा उत्पन्न कर रही है. उन्होंने प्रदेश के 12 वयोवृद्ध संस्कृत विद्वानों को पहली बार लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया. डॉ. कल्ला ने वैदिक कथा वल्लरी और संस्कृत इलस्ट्रेशन फिल्म सहित 7 प्रकाशनों का लोकार्पण किया. समारोह में अकादमी की त्रैमासिकी पत्रिका स्वरमंगला के संपादक प्रो. श्रीकृष्ण शर्मा ने ‘वेद एवं राष्ट्रीयता‘ के संबंध में अथर्ववेद का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्र की प्रगति तभी हो सकती है, जब विविध भाषा बोलने वाले और विविध धर्माें व रीति-रिवाजों पर चलने वाले लोग कुटंब के भाइयों के समान एक ही देश में रह सके. ‘वेद एवं विश्व‘ पर व्याख्यान देते हुए वाराणसी के प्रो. विजयशंकर शुक्ल ने वेदों में वर्णित भावना पर जोर देते हुए कहा कि वैदिक साहित्य विश्व-बंधुत्व की बात करता है.वह किसी जाति, धर्म या संप्रदाय तक सीमित नहीं है, उसमें कही बातें सारी मानवता के लिए हैं.
‘हर घर तिरंगा‘ अभियान के अंतर्गत डॉ. कल्ला ने अकादमी परिसर में तिरंगा फहराया. समारोह में कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त शासन सचिव पंकज ओझा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विभाग एवं अकादमी के नवाचारों पर प्रकाश डाला.
इन विद्वानों का हुआ सम्मान
डॉ. नारायण शास्त्री कांकर, पंडित अनंतराम शर्मा, पंडित रामपाल शर्मा, पंडित प्यारेमोहन शर्मा, बजरंगलाल तापडिया, देवर्षि कलानाथ शास्त्री, प्रो. दयानंद भार्गव, डॉ. राजेश्वरी भट्ट, डॉ. मोहनलाल गुप्त, प्रो. बनवारीलाल गौड़, प्रो. गणेशीलाल सुथार, प्रो. श्रीकृष्ण शर्मा, इनके अतिरिक्त कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से अमृत महोत्सव में सराहनीय कार्य के लिए पंकज ओझा को सम्मानित किया गया.
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