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जालोर: नर्मदा नहर के अंतिम टेल तक पानी पहुंचने की मांग को लेकर तीसरे दिन भी धरना जारी रहा. क्षेत्र के गांवों में फैली नर्मदा नहर की वितरिकाओं में नियमानुसार पानी की सप्लाई की मांग को लेकर किसानों का धरना तीसरे दिन भी जारी रहा. इस दौरान पांच किसान भूख हड़ताल पर रहे।वहीं 100 किसान क्रमिक अनशन पर है.
किसानों ने बताया कि गुजरात सरकार के अधिकारियों की मनमर्जी के चलते राजस्थान के हिस्से का पानी नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राजस्थान के हिस्से का 2100 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए था, लेकिन गुजरात स्थित नर्मदा विभाग द्वारा मात्र 1000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है. किसानों ने बताया कि सांचौर व चितलवाना उपखंड में कृषि कार्यों के लिए पानी का मुख्य आधार नर्मदा नहर हैं, लेकिन नर्मदा नहर में पानी नहीं आने के कारण किसानों की फसले बर्बाद हो रही है.
कांग्रेस नेता हिंदू सिंह दूठवा ने कहा कि नर्मदा का पानी टेल तक नहीं पहुंच रहा है. पानी का टेल तक नहीं पहुंचाना, क्षेत्र के किसान परिवार के साथ नाइंसाफी हैं। जिसके कारण किसानों में नर्मदा विभाग के प्रति भारी रोष हैं। इसके अलावा किसानों ने पानी चोरी रोकने व अवैध कनेक्शन को हटाने की मांग की.
किसानों ने बताया कि पानी उपलब्धता के कारण बाराबंदी को समाप्त कर सभी नहरों में नियमित आपूर्ति की जाए. उन्होंने कहा कि पानी छोड़ने और फसलों को पानी की आवश्यक्ता में भिन्नता होने के कारण किसानों की फसलें नष्ट हो रही है. जिससे किसान नाराज है.
इसके अलावा किसानों बताया कि 7 नवंबर को नर्मदा विभाग के आगे वांक, जैसला एवं रतौड़ा माईनर के किसानों ने धरना दिया था. उस समय अधिकारियों के साथ राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई, नर्मदा परियोजना के चेयरमैन राव मोहनसिंह की मौजूदगी में एक बैठक रखी गई थी। जिसमें समझौते हुए थे, लेकिन धरातल पर समझौते लागू नहीं किए गए हैं. किसानों ने आरोप लगाया कि तीनों वितरिकाओं में से एक भी वितरिका के आधे क्षेत्र तक भी पानी नहीं पहुंचा है. राजस्थान के हिस्से का पूरा पानी 2100 क्यूसेक देने की मांग को लेकर मंत्री सूखराम बिश्नोई ने गुजरात में नर्मदा के मुख्य अभियंता से मुलाकात कर राजस्थान के हिस्से का 2100 क्युसेक पूरा पानी देने की मांग की।मुलाकात में मुख्य अभियंता ने मंत्री सूखराम बिश्नोई को भरोसा दिलाया है कि राजस्थान के हिस्से का पूरा पानी दिया जाएगा.