बिलाड़ा: कल्पवृक्ष पर श्रदालुओं की लगी भीड़, मांगी मन्नतें
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बिलाड़ा: कल्पवृक्ष पर श्रदालुओं की लगी भीड़, मांगी मन्नतें

कल्पवृक्ष बिलाड़ा शहर में स्थित एक पवित्र इच्छा वृक्ष है, इस वृक्ष को देवतारु और कल्पतरु के नाम से भी जाना जाता है. किंवदंतियों के अनुसार, इसे हजारों साल पहले असुर राजा बलि द्वारा स्वर्ग से लाया गया था.

कल्पवृक्ष की पूजा करती महिलाएं

Jodhpur: जोधपुर के बिलाड़ा सहित आसपास के गांवों में सावन का सोमवार का धूमधाम से मनाया जा रहा है, श्रदालु शिवालयो में जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक कर मंगल कामना कर रहें हैं. सावन माह शुरू होते ही कल्पवृक्ष पर लोगों की आवाजाही शुरु हो जाती हैं, कल्पवृक्ष के दर्शन करने के लिए विभिन्न जिलों से श्रद्धालु पहुंचने लगते हैं और कल्पवृक्ष के दर्शन कर पूजा अर्चना की जाती हैं, मंदिर परिसर में दिन भर धार्मिक अनुष्ठान किये जा रहें हैं.

कल्पवृक्ष बिलाड़ा शहर में स्थित एक पवित्र इच्छा वृक्ष है, इस वृक्ष को देवतारु और कल्पतरु के नाम से भी जाना जाता है. किंवदंतियों के अनुसार, इसे हजारों साल पहले असुर राजा बलि द्वारा स्वर्ग से लाया गया था, तभी से यह पवित्र वृक्ष उसी स्थान पर स्थित है. कहा जाता है कि यह पेड़ मनोकामना पूरी करता है. कल्पवृक्ष तीर्थ में, मुख्य मंदिर भगवान शिव का है, कल्पवृक्ष एक पौराणिक, इच्छा-पूर्ति करने वाला दिव्य वृक्ष है जो संस्कृत साहित्य में प्राचीन काल से ही प्रचलित है.

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प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में ''कल्पवृक्ष'', ''इच्छा पूर्ति'' वृक्ष है, जिसमें मनुष्य की हर इच्छा को पूरा करने की शक्ति होती है. इसकी शाखाओं में हर तरह के फल और फूल होते हैं, जिनकी कोई कामना करता है, तो माना जाता है कि पेड़ के सेब में इसे चखने वाले को अनन्त जीवन प्रदान करने का गुण होता है. जब इंद्र ने अपना राज्य खो दिया, तो वह उसे वापस पाने के लिए मदद के लिए भगवान विष्णु के पास गए, भगवान विष्णु ने उन्हें अमृता (अमृत) लाने के लिए समुद्र मंथन करने की सलाह दी ताकि इंद्र और देवता अमृत का हिस्सा बन सकें जो उन्हें अमर बना देगा और उन्हें अपना खोया हुआ राज्य वापस पाने में मदद करेगा. मंथन के दौरान समुद्र से चौदह खजाने निकले, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण कल्पवृक्ष, कामधेनु और धन्वंतरी उत्पन्न हुए.

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