Jodhpur News: जोधपुर एम्स जोधपुर में एक ब्रेन डेड/मृत मरीज के अंग दान किये गए, जब सड़क दुर्घटना के शिकार राजस्थान के करौली निवासी 23 वर्षीय दीपक कुमार के परिवार ने जरूरतमंदों को जीवन का उपहार देने के लिए उनके अंग दान करने का फैसला किया. दीपक कुमार 21 अक्टूबर 2024 को एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे .
उन्हें ईएनटी रक्तस्राव, शरीर पर कई खरोंचों और बेहोशी की हालत में एम्स जोधपुर के आपातकालीन विभाग में लाया गया. सर्वोत्तम चिकित्सा प्रयासों के बावजूद, 02 नवंबर 2024 को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. अत्यधिक साहस और करुणा का परिचय देते हुए, दीपक कुमार का परिवार उनके अंगों को दान करने के लिए सहमत हो गया. इसके पश्चात् परिवार से लिखित सहमति प्राप्त की गई और अंग दान की प्रक्रिया शुरू की गई.
संभावित प्राप्तकर्ताओं में प्रत्यारोपण के लिए दानकर्ता की किडनी, लीवर और पैंक्रियाज को निकाला गया. एक किडनी और पैंक्रियाज पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ को तथा दूसरी किडनी लिवर एवं बाइलरी साइंसेस संस्थान (ILBS), नई दिल्ली को तथा लीवर एम्स जोधपुर को आवंटित किया गया. किडनी और पैंक्रियाज को पहले एम्स से जोधपुर एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से भेजा गया. उसके बाद एक किडनी, इंस्टिट्यूट ऑफ़ लिवर एवं बाइलरी साइंसेस संस्थान(ILBS), नई दिल्ली तथा दूसरी किडनी और पैंक्रियाज पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ हवाई मार्ग से भेजे गए. . 23 वर्षीय दीपक कुमार का यह निस्वार्थ कार्य कई जिंदगियों को बचाएगा और भारत में अंग दान के महत्व को रेखांकित करेगा.
ऑर्गन रिट्रीवल प्रक्रिया को एम्स जोधपुर के ऑर्गन ट्रांसप्लांट टीम द्वारा कार्यकारी निदेशक प्रो. जी.डी. पुरी, ट्रांसप्लांट टीम के अध्यक्ष प्रो. ए.एस. संधू, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महेश देवनानी और अंग प्रत्यारोपण नोडल अधिकारी डॉ. शिव चरण नवरिया की देखरेख में सटीकता के साथ अंजाम दिया गया. सर्जिकल गैस्ट्रो टीम में डॉ. वैभव वर्श्नेय, डॉ. सुभाष सोनी, डॉ. पीयूष, डॉ. सेल्वा कुमार और डॉ. लोकेश शामिल थे. एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. प्रदीप भाटिया ने किया, जिसमें डॉ. मनोज कमल, डॉ. अंकुर शर्मा, डॉ. भरत पालीवाल और डॉ. सादिक मोहम्मद भी शामिल थे. प्रत्यारोपण समन्वयकों में दशरथ, श्री रमेश और नेहा शामिल थे.
ऑर्गन रिट्रीवल प्रक्रिया के बाद शव को पूरे सम्मान और प्रतिष्ठा के साथ परिवार को सौंप दिया गया. पूरी प्रक्रिया के दौरान परिवार को अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं का पालन करने का अवसर दिया गया और वे दूसरों के जीवन को बचाने में अपने निर्णय के महत्व को समझते हुए इस महादान के कार्य में सहयोगी बने. करुणा का यह कार्य दानकर्ता के परिवार की सहानुभूति के बिना संभव नहीं होता, जिन्होंने अपने दुःख के क्षण में, अंग दान का महान मार्ग चुना. चिकित्सा पेशेवरों के अटूट समर्पण और एम्स प्रशासन सहित पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं के समर्थन के साथ उनके निर्णय ने चार नए लोगो को जीवन का उपहार दिया है.
एम्स जोधपुर अंगदान के इस नेक काम के लिए दानकर्ता के परिवार के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता है और दुख की इस घड़ी में उनके साथ एकजुटता से खड़ा है. हम प्रशासन और पुलिस को भी पूरी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए धन्यवाद देते हैं. इस महादान को आशा की एक किरण के रूप में काम करना चाहिए, और अधिक से अधिक व्यक्तियों को अंग दान के निस्वार्थ कार्य के माध्यम से होने वाले गहरे प्रभाव पर विचार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. आज, एम्स जोधपुर ने प्रशासन के सहयोग से एक बार फिर मानवीय भावना में मौजूद अच्छाई की उल्लेखनीय क्षमता की पुष्टि की है.
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