बिलाड़ा कस्बे में आई पंथ के पदाधिकारी आई माताजी के मंदिर पहुंचे और माताजी के दर्शन कर देश प्रदेश में खुशहाली की कामना की है.
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Bilara: जोधपुर जिले के बिलाड़ा कस्बे में आई पंथ के पदाधिकारी आई माताजी के मंदिर पहुंचे. माताजी के दर्शन कर देश प्रदेश में खुशहाली की कामना की है. इस मौके पर आई पंथ के राष्ट्रीय धर्म गुरु दीवान माधवसिंह का मानना है कि श्रद्धालुओं में आध्यात्मिक भाव बने रहे और अपनी कुलदेवी के दर्शन गांव की बडेर में ही होते रहें. इसके लिए आई पंथ के श्रद्धालु अपने अपने गांव में माताजी की बडेर का निर्माण करवा रहे हैं. यह एक अच्छी परंपरा है और इसी परंपरा को सीरवी समाज भी व्यापारिक रूप देता आया है.
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धर्मगुरु दीवान ने कहा कि आज धर्म जिंदा है तो संस्कृति जिंदा है और धर्म और संस्कृति को कभी भी भूलना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि अपने मां बाप की सेवा करने से परम आनंद मिलता है उनके आशीर्वाद से ही लोग फल फूल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम पाश्चात्य संस्कृति अपना रहे हैं, जबकि हमे अपनी संस्कृति को अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में बहुत ही आध्यात्मिक जुड़ाव है इससे आदमी का जीवन सुधर जाता है. आदमी अपने नेकी पर चलेगा तो उसकी भगवान भी मदद करते हैं और झूठ बोलने से घर का विनाश होता है. घर में अच्छे संस्कार दे, जिससे घर में सुख शांति बनी रहे. शांति से ही लक्ष्मी का वास होता है.
धीनावास और देवरिया गांव के लोगों द्वारा उनके वहां बडेर के शिलान्यास और लोकार्पण आयोजन का निमंत्रण देने के लिए नारियल भेंट करने यहां आईमाता बडेर में पहुंचे और दीवान को निमंत्रण स्वरूप नारियल भेंट किया, जिसे दीवान ने स्वीकार कर उनके यहां पहुंचने का भरोसा दिया. यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने दीवान से आग्रह किया कि आई माता का धर्म रथ बेल भी साथ आए जिसकी शोभायात्रा के साथ दीवानजी का बढ़ावा करेंगे.
छह सौ साल से चल रही परिपाटी
दीवान ने बताया कि अन्य धर्मों और पंथों से आई पंथ ही ऐसा अलग पंथ है, जिसमें श्रद्धालुओं को दर्शन देने के लिए बिलाडा बडेर से यह आई माता का धर्मरथ निकलता है, जिसमें माता जी की अखंड ज्योत रहती है और माता जी की प्रतीकात्मक प्रतिमा विराजित है. बैलों से चलने वाला यह रथ गांव-ढाणियों, कस्बों की हर बडेर तक पहुंचता है, जहां आई पंथ के श्रद्धालु पहुंचकर रथ में विराजित माताजी और अखंड ज्योत के दर्शन करते हैं. कई बार बड़े कस्बों में कई जगहों पर अलग-अलग बडेर बनी होती है, तो वहां यह रथ कई दिनों तक ठहरता है.
Reporter: Arun Harsh