शादियों के शुभ अवसर पर करौली में एक ऐसा रिवाज किया जाता, जिसके बिना शादी अधूरी कही जाती है. यहां घरों में शादी से पहले, शादी वाले घरों के मुख्य द्वार पर अनोखी चित्रकारी होती है.
शादी वाले घरों के मुख्य द्वार पर हाथी, घोड़े साथ ही चार सिपाही कुछ खास तरह से बनाए जाते हैं. जिससे माना जाता है की घरों में इसका आंकलन इसी चित्रकारी से होती है.
यहां के एक बुजुर्ग सेवानिवृत अध्यापक कृष्ण चंद्र चतुर्वेदी कहते हैं की यह परंपरा राजशाही जमाने से चली आ रही है . इस परंपरा में पुराने जमाने की बारातों की झलक भी देखने को मिलती है. चाहे लड़के की शादी हो या लड़की की, यह चित्रकार हर घर में करवाई जाती है.
यह कोई परंपरा नहीं बल्कि मान्यता है. जिसको हर घर में शादियों के समय निभाया जाता है. इसको कोई आम नहीं बल्की कुछ चुनिंदा चित्रकार जानते और बनाते हैं.
यह परंपरा यहां की ऐतिहासिक परंपरा में से एक है. इसे हाथी घोड़ा के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोग इस ऐतिहासिक परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहें हैं.
इस परंपरा में घर के मुख्य द्वार पर विशेष रूप से डोलियां, शहनाई, ढोलक,घोड़े, चार सिपाही, रेलगाड़ी आदि चीज़े बनाई जाती है.
करौली के लोगों का मानना है की इस परंपरा के बिना यहां की शादियां अधूरी हैं.