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Karanpur election Result: सरकार के मन्त्री सुरेन्द्रपाल सिंह वैसे तो खुद टीटी हैं लेकिन अब विधानसभा में दाखिल होने से पहले ही टीटी का टिकिट कट गया है. हालांकि टीटी को सरकार की सवारी कराकर विधानसभा भेजने के लिए बीजेपी ने भी हरसंभव कोशिश की, लेकिन सरकारी ट्रेन में वोटर्स की मंजूरी से पहले चढ़े टीटी खुद ही जनता को रास नहीं आए और श्रीकरणपुर के मतदाताओं ने उन्हें ट्रेन से उतार दिया है. श्रीकरणपुर के चुनाव में बीजेपी की हार या कांग्रेस की जीत से प्रदेश की सत्ता में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने वाला. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस जीत से कांग्रेस के कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज होकर लोक सभा चुनाव में जाएंगे?
प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. बीते साल दिसम्बर के शुरूआत में आए चुनावी नतीजों में जनता ने अपना मेन्डेट सुनाया तो गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस की सरकार सत्ता से बाहर हो गई. बीजेपी की सत्ता में एन्ट्री हुई और इस सरकार की ट्रेन में एक टीटी भी मन्त्रिपरिषद के पहले विस्तार में सवाल हो गए. श्रीकरणपुर से बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को जिताने के लिए बीजेपी ने गज़ब का कार्ड खेला. चौंकाने वाली रणनीति अपनाई और वोटिंग से पहले ही टीटी को मन्त्रिपरिषद में शामिल कर लिया. इस बात पर कांग्रेस ने तब भी ऐतराज जताया और अब कांग्रेस चुनाव जीत गई है तो पूर्व सीएम अशोक गहलोत इसे जनता की तरफ़ से सरकार को करारा जवाब बता रहे हैं.
उधर पीसीसी पीछ गोविन्द डोटासरा का कहना है कि बीजेपी ने भले ही आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई लेकिन जनता ने अपना नज़रिया साफ कर दिया. डोटासरा ने इस जीत के लिए जनता और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया. साथ ही पीसीसी चीफ ने कहा कि जनता ने सरकार को बता दिया कि दिल्ली से पर्ची के आधार पर सरकार चलाने का रवैया सुधारना होगा. डोटासरा बोले कि जनता ने बता दिया है कि, सरकार मन्त्री बना सकती है लेकिन विधायक नहीं.
सरकार को नसीहत देते हुए कांग्रेस कह रही है कि जनभावना को देखते हुए काम करना चाहिए. इस जीत से उत्साहित कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले उत्साहित दिख रही है. . खुद पीसीसी चीफ कह रहे हैं कि इस जीते से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मजबूत होगी और एनडीए केन्द्री की सत्ता से दूर होगी.
इन सबके बीच कांग्रेस जीत का जश्न मना रही है तो बीजेपी हार के कारणों की समीक्षा की बात कर रही है. हालांकि बीजेपी के कुछ नेता इस चुनाव में सहानुभूति लहर होने की बात कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि वे हार के कारणों की समीक्षा करेंगे.
जीत के जश्न और हार की समीक्षा की परिपाटी हर पार्टी में रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस जीत को कांग्रेस की रणनीति की जीत माना जाए? या बीजेपी की रणनीति की हार? सवाल यह भी कि क्या इस एक जीत को बीजेपी की मौजूदा सरकार के रिपोर्ट कार्ड के रूप में देखा जाए? और सवाल यह भी कि क्या जनता ने बता दिया कि राजनीतिक दल भले ही जनता को अपने तरीके से हांकने और प्रभावित करने की कोशिश करें लेकिन जनता भुलावे में नहीं आकर किसी को भी आईना दिखा सकती है?
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