Udaipur: प्रशासन की अनदेखी का शिकार हुआ राजा कर्ण का विवाह स्थल, 350 मंदिर बन गए खंडर
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Udaipur: प्रशासन की अनदेखी का शिकार हुआ राजा कर्ण का विवाह स्थल, 350 मंदिर बन गए खंडर

Udaipur News: उदयपुर में स्थित बलीचा गांव राजा वासक की नगरी के नाम से मशहूर है. बलीचा गांव का नाम महाभारत काल में विश नगरी के नाम से जाना जाता था. 

 

 Udaipur: प्रशासन की अनदेखी का शिकार हुआ राजा कर्ण का विवाह स्थल, 350 मंदिर बन गए खंडर

Udaipur News: महाभारत काल में राजा कर्ण का विवाह स्थल आज प्रशासन की अनदेखी का शिकार बना हुआ है. उदयपुर जिले के लसाडिया उपखंड क्षेत्र में स्थित बलीचा गांव राजा वासक की नगरी के नाम से मशहूर है. यंहा राजा वासक का स्थान यानी बाम्बी स्थित है. बुजुर्गो के अनुसार, इस बांबी में राजा वासक सच्ची श्रद्धा से आए लोगों को दर्शन देते हैं. बलीचा गांव का नाम महाभारत काल में विश नगरी के नाम से जाना जाता था. 

यहां उस समय 350 मंदिर हुआ करते थे, लेकिन रख-रखाव के अभाव में सभी मंदिर खंडर हो चुके हैं. राजा वासक की बांबी के पास रोजाना केसर और दूध रखा जाता है, जब भी वासक राजा आते हैं, तो केसर और दूध पी लेते हैं. वासक राजा की बांबी के पीछे चट्टानों पर रगड़ पड़ी हुई है. कहा जाता है कि राजा वासक यहां घूमते थे, जिस कारण चट्टान पर रगड़ पड गई. वर्तमान में यहां युवाओं द्वारा नर्सरी तैयार कर राजा वासक की वाटिका को खूबसूरत किया जा रहा है. यहां रोजाना कई श्रद्धालु अपनी मन्नते मांगते हैं और ये मन्नतें पूर्ण होती है. 

मान्यता है कि राजा वासक ने तिल, अफीम, गन्ना, कपास, भैंस की उत्पत्ति यहां से ही हुई है. कहा जाता है कि 350 मंदिरों में एक साथ झालर और घंटियां बजती थी, जिससे आकाश गुंजयमान हो जाता था, लेकिन वर्तमान में पुरातत्व विभाग की अनदेखी सभी मंदिर खंडर हो चुके हैं. अभी भी सार संभाल नहीं हुई, तो संभव है जल्द ही अस्तित्व ही मिट जाएगा. 

अनदेखी से मिट रहा है अस्तित्व
सरकार की अनदेखी से बलीचा के 350 मंदिरों में से कई मंदिर तो विलुप्त हो चुके हैं, कुछ मंदिर बचे हैं, वो भी खंडर हो रहे हैं. ऐसे में सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो 350 मंदिरो का अस्तित्व ही मिट जाएगा. बुजुर्गो के अनुसार, मंदिरों का आज तक सरकार ने ध्यान नहीं दिया, अगर सरकार समय पर ध्यान देती तो बलीचा की तस्वीर कुछ अलग ही होती. 

गढ़ के रुप में विख्यात है बलीचा का राजमहल
बलीचा गांव के बीच में राजमहल बना हुआ है, जो कानोड़ ठिकाना के समय सारंगदेवोत को दिल्ली के हमलावरों को मेवाड़ से खदेड़ने पर बलीचा गांव मिला था. राजमहल गढ़ के नाम से अभी पहचान बनाई हुई है. वर्तमान में यहां विद्यालय संचालित है. गढ़ को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं. सार संभाल के अभाव में भी बलीचा गांव पुरानी पहचान बनी हुई है. ग्रामीणों द्वारा वासक राजा सहित कई मंदिरों का सार संभाल कर लिया, जिससे कुछ मंदिरों का अस्तित्व बना हुआ है. 

राजा कर्ण के विवाह स्थल पर बना मंडप आज भी मौजूद 
महाभारत काल में राजा कर्ण का विवाह भी विशनगर (वर्तमान बलीचा) में ही हुआ. कर्ण के विवाह स्थल पर बना मंडप आज भी मौजूद है. बलीचा बस स्टैंड के पास ही ये स्थल मौजूद है. पास में ही खंडर में तब्दील हो रहे मंदिर भी मौजूद हैं. पुराने समय केवल पत्थरों से बने यह मंदिर आज खंडर में तब्दील हो चुके हैं, जिनको धणी धोरी कोई नहीं है. 

राजा वासक स्थल का नहीं मिटा अस्तित्व 
बलीचा में राजा वासक स्थल का अस्तित्व नहीं मिटा है. यहां ग्रामीणों व स्थानीय युवाओं द्वारा सार संभाल की जा रही है. स्थानीय युवा राजेन्द्र प्रजापत, जगदीश कुमार ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन का सदुपयोग कर वासक राजा स्थल पर खाली जगह पर बगीचा तैयार कर पौधे और फुलवारी बनाई, झुला लगाया जिससे आने वाले दर्शनार्थी को सुविधा मिल रही हैं. 

 

 

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