संभल सर्वे रिपोर्ट पर आ गया 'सुप्रीम' ऑर्डर, देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला क्यों सुनाया; समझ लें मायने
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संभल सर्वे रिपोर्ट पर आ गया 'सुप्रीम' ऑर्डर, देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला क्यों सुनाया; समझ लें मायने

Sambhal Jama Masjid Report : सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत पर किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. यानी अब निचली अदालत केस की सुनवाई नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुस्लिम पक्ष इस विवाद को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाए. यानी अब मस्जिद विवाद के केस की सुनवाई हाईकोर्ट करेगा.

संभल सर्वे रिपोर्ट पर आ गया 'सुप्रीम' ऑर्डर, देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला क्यों सुनाया; समझ लें मायने

Supreme Court on Sambhal Violence: संभल में जामा मस्जिद है या मंदिर ? ये उस सर्वे रिपोर्ट से क्लियर होगा, जिस सर्वे को लेकर ही संभल में दंगे भड़के थे और जो सर्वे रिपोर्ट आज निचली अदालत में पेश होनी थी. लेकिन हो नहीं पाई. मगर अब इस केस में सुप्रीम कोर्ट की भी एंट्री हो गई है. दरअसल शाही जामा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि सर्वे पर तुरंत रोक लगाई जाए, जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत पर किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. यानी अब निचली अदालत केस की सुनवाई नहीं करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुस्लिम पक्ष इस विवाद को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाए. यानी अब मस्जिद विवाद के केस की सुनवाई हाईकोर्ट करेगा.

रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश दिया है. यानी अब सर्वे रिपोर्ट भी नहीं खुलेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश की ये तीन मुख्य बातें हैं, जिस पर मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष क्या कह रहा है, चलिए जानते हैं. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मुस्लिम पक्ष भले ही अपनी जीत बता रहा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला क्यों सुनाया है. ये भी समझना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हम इस केस को इसलिए ले रहे हैं, ताकि सौहार्द बना रहे. हम मेरिट में नहीं जा रहे हैं. हम नहीं चाहते कि वहां कुछ हो. हमें सुनिश्चित करना होगा कि कुछ भी अप्रिय न हो.

पहले हाईकोर्ट सुनेगा फैसला

यानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगने का मतलब ये नहीं है कि संभल मस्जिद में सर्वे रिपोर्ट अब मान्य नहीं है. इसका ये भी मतलब नहीं है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट कोई फैसला भी नहीं सुनाएगा. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब सिर्फ ये है कि इस केस को अब पहले हाईकोर्ट सुनेगा. उसके बाद हाईकोर्ट कहेगा तो निचली अदालत सर्वे रिपोर्ट पर अपना फैसला सुनाएगी.

सुनवाई कैसे होगी, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश

संभल में सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी कर दिए. सुनवाई कैसे होगी ये भी साफ साफ बताया और पुलिस-प्रशासन को भी कह दिया कि सद्भाव कायम रहना चाहिए. बावजूद इसके मौलाना तौकीर रजा ने संभल जाने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद हलचल बढ़ी. प्रशासन के कहने के बावजूद तौकीर रजा आगे बढ़े. लेकिन पुलिस ने उनको संभल तक नहीं पहुंचने दिया.

मौलाना तौकीर रजा संभल तो नहीं पहुंच पाए. लेकिन ऐलान से लेकर हिरासत में लिए जाने तक 9 घंटे के हाई वोल्टेज ड्रामे में तौकीर रजा ने कुछ ऐसी बातें कहीं जो इशारा दे गईं कि संभल जाकर तौकीर रजा क्या करना चाहते थे.

पर्सनल लॉ बोर्ड ने जारी किया खत

इधर तौकीर रजा दंगे में मारे गए लोगों को शहीद करार दे रहे हैं तो दूसरी तरफ सामने आया है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जिसने संभल को मुद्दा बनाया और सुप्रीम कोर्ट से डिमांड करते हुए एक खत जारी कर दिया. इस खत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मांग करता है किस किस्म के मामलों की सुनवाई किस स्तर के कोर्ट में हो और इस खत के आखिर में लिखा गया था कि अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांग नहीं मानी गईं तो देश में विस्फोटक हालात पैदा हो सकते हैं, जिनकी जिम्मेदारी सरकार और सुप्रीम कोर्ट की होगी.

खत में ऐसी भाषा के इस्तेमाल की वजह से उठ गया एक सवाल. क्या अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे संस्थान ये भी तय करेंगे. न्यायपालिका कैसे काम करे और कैसे नहीं और क्या खत में लिखी कथित जिम्मेदारी का मतलब न्यायपालिका को छिपी हुई धमकी है.

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