अंग्रेजों के बसाये मिनी स्विटजरलैंड चोपता में बर्फबारी होने के बाद सैलानियों की भीड़ उमड़ने लगी है. क्रिसमस और नया साल का जश्न मनाने को लेकर देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से विख्यात चोपता-दुगलबिट्टा को अंग्रेजों की देन माना जाता है. साल 1925 में अंग्रेजों ने यहां पर डाक बंगला बना दिया था, जो आज भी मौजूद है.
ब्रिटिश शासकों ने भारत की गर्मी से बचने के लिए ऊंचाई पर इस पहाड़ी जगह को चिन्हित किया था. हर साल क्रिसमस और नया साल मनाने को लेकर बड़ी तादात में सैलानी चोपता पहुंचते हैं.
इस बार क्रिसमस से ठीक पहले मिनी स्विट्जरलैंड चोपता में बर्फबारी होने से सैलानियों के चेहरों पर मुस्कान देखने को मिल रही है. जबकि स्थानीय व्यापारियों को भी रोजगार मिल रहा है.
बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक यहां पहुंचकर बर्फबारी का आनंद ले रहे हैं. चोपता-दुगलबिट्टा के बुग्यालों ने बर्फ की सफेद चादर ओढ़ ली है.
चोपता की सड़कों में पर्यटकों के वाहनों का जमावड़ा लगा है, जबकि बर्फ में वाहन फिसल भी रहे हैं. स्थानीय व्यापारी पर्यटकों के लिए अच्छी सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं.
पर्यटक श्रीनिका, ज्योति, रूमी दत्ता, सत्यम, विश्वजीत ने बताया कि उन्हें चोपता में आकर आनंद की अनुभूति हो रही है.
कुल्लू-मनाली सहित अन्य हिल स्टेशनों में भी गए हैं, लेकिन जितनी बर्फ मिनी स्विटजरलैंड चोपता में देखी है, इतनी बर्फ आज तक नहीं देखी.
वहीं पर्यटकों की आवाजाही से चोपता-दुगलबिट्टा गुलजार बना है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी रोजगार मिल रहा है और उनमें खुशी देखी जा रही है.