Cloud Bursting Meaning : उत्तराखंड में बादल फटने से केदारनाथ पैदल मार्ग पर कई जगहों पर सड़कें टूट गईं. कई नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ गया है. नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
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Cloud Bursting : उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने से 6 लोगों की मौत हो गई. इतना ही नहीं बादल फटने से उत्तराखंड में तबाही जैसा मंजर बन गया है. बादल फटने से केदारनाथ पैदल मार्ग पर कई जगहों पर सड़कें टूट गईं. मॉनसून आते ही लैंडस्लाइड की भी घटनाएं बढ़ जाती हैं. ऐसे में मन में सवाल आता है कि आखिर बादल फटना क्या होता है?. तो आइये जानते हैं बादल फटना क्या होता है?.
क्या होता है बादलों का फटना?
दरअसल, 'बादल का फटना' शब्द का इस्तेमाल मौसम वैज्ञानिक करते हैं. इसका मतलब यह नहीं होता कि गुब्बारे की तरह फट जाना. बादल फटने का मतलब होता है कि अचानक से एक जगह पर बहुत ज्यादा बारिश होना. मौसम विभाग के मुताबिक, अगर एक जगह पर एक घंटे में करीब 100 एमएम बारिश हो जाती है तो इसे बादल फटना कहा जाता है. इसे Cloudburst या Flash Flood भी कहा जाता है. सामान्य तौर पर जमीन की सतह से 12 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होने वाली भारी बारिश को ही बादल का फटना माना जाता है.
क्यों फटता है बादल?
दरअसल, बादल फटने की घटना ज्यादा नमी वाले बादल के एक जगह रुक जाने से होता है. पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. ऐसे में इनके भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है, इसके चलते बारिश होने लगती है. माना जाता है कि जहां बादल फटता है वहां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है.
क्या पहाड़ों पर ही फटता है बादल?
बादल का फटना, सुनकर ऐसा लगता है कि बादल सिर्फ पहाड़ों पर ही फटते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं होता है. पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं. इसके चलते वह आगे नहीं बढ़ पाते. ऐसे में एक जगह पर ही तेज बारिश होने लगती है. हालांकि, मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने की घटना सामने आई. इसके बाद इस घटना ने सिर्फ पहाड़ों पर बादलों के फटने के मिथक को तोड़ दिया.
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