केदारनाथ धाम को रोपवे से जोड़ने की बहुप्रतीक्षित योजना पर काम शुरू हो गया है. पहले चरण में गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक 9.7 किमी लंबा रोपवे बनाया जाएगा, जिससे यात्रा बेहद आसान और सुविधाजनक हो जाएगी
हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन 16 किमी की कठिन चढ़ाई उनके लिए बड़ी चुनौती बनती है. रोपवे बनने के बाद यह सफर मात्र 30 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, जिससे बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों को भी यात्रा में सहूलियत मिलेगी.
वर्तमान में पैदल मार्ग से गौरीकुंड से केदारनाथ पहुंचने में 7-8 घंटे लगते हैं. रोपवे के जरिए यह दूरी आधे घंटे में तय की जा सकेगी, जिससे तीर्थयात्रियों की ऊर्जा और समय दोनों बचेंगे.
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 956 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. निर्माण कार्य की निविदा जारी कर दी गई है और जल्द ही कार्य शुरू होने की उम्मीद है.
रोपवे परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा—पहले चरण में गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक का निर्माण होगा और दूसरे चरण में सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 3.3 किमी लंबा रोपवे बनाया जाएगा.
बीते दो वर्षों में हर यात्रा सीजन में 15 लाख से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे हैं. रोपवे बनने के बाद यात्रा सुगम होगी, जिससे भीड़भाड़ कम होगी और श्रद्धालु अधिक सुविधाजनक यात्रा कर सकेंगे.
रोपवे के निर्माण के लिए हवाई और भूमिगत सर्वे समेत सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. इसे अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया जाएगा, जिससे सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.
केदारनाथ रोपवे परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल है. 21 अक्टूबर 2022 को उन्होंने इस परियोजना का शिलान्यास किया था और इसे तीर्थयात्रियों के लिए एक बड़ी सौगात बताया था.
रोपवे के निर्माण से धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को मजबूती मिलेगी.
यह रोपवे परियोजना पर्यावरण के अनुकूल होगी और पारंपरिक यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों पर निर्भरता कम होगी. इससे पहाड़ी क्षेत्रों में जैवविविधता को भी संरक्षित रखने में मदद मिलेगी.