Naga Sadhu in Kumbh Mela:नागा साधु कुंभ मेले की पहचान माने जाते हैं. ये साधु युद्ध कला में माहिर होते हैं. ये हिंदु धर्म के रक्षक हैं. नागा साधु व्यायाम कर अपने शरीर को सुदृढ़ रखते हैं.
नागा साधू कपड़े नहीं पहनते , वे नग्न अवस्था में रहते हैं इसलिए वे नागा कहलाते हैं. वह शरीर पर भस्म लगाते हैं.
नागा साधु बनना कोई आसान काम नहीं है. अलग-अलग अखाड़े अपने साधुओं को नागा साधु बनने की दीक्षा अपने तरीके से देते हैं. कुछ साधुओं को भुट्टो भी कहा जाता है.
नागा साधु बनने के लिए वर्षों की साधना लगती है. ये लोग समाज के बीच नहीं रहते. निर्जन स्थान पर नागा साधु निवास करते हैं.
नागा साधु लंगोट पहनते हैं , कुछ साधु तो सिर्फ नग्न रहते हैं. वे जीवनभर वस्त्र धारण नहीं करते.
नागा साधु को ब्रह्मचारी रहने की शिक्षा दी जाती है. ब्रह्मचर्य व्रत सीखने में 12 साल तक का समय लग सकता है. इसके बाद उसे महापुरुष बनाया जाता है. इसके बाद यज्ञोपवीत संस्कार होता है.
नागा साधु अपना और अपने परिजनों का पिंडदान करते हैं. इसे बिजवान कहते हैं. वे खुद को मृत बताकर नागा का जीवन शुरू करते हैं. नागा साधुओं का टांग तोड़ संस्कार भी होता है. इसमें उनके लिंग के नीचे की खाल को तोड़ दिया जाता है. इसके बाद लिंग कभी उत्तेजित नहीं होता.
नागाओं के लिए इस दुनिया का कोई मोल नहीं होता.न उनके पास घर होता न संपत्ति. वे तो सोते भी जमीन पर हैं.
नागा साधु एक दिन में महज 7 घरों से भिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. ये दिन में एक बार खाना खाते हैं. नागा नग्न रहते हैं और अस्त्र शस्त्र चलाने में माहिर होते हैं. सबसे अधिक नागा जूना अखाड़े में होते हैं.
नागा साधुओं के पास बहुत सी रहस्यमई शक्तियां होती हैं. इसका इस्तेमाल वे जन कल्याण के उद्देश्य से करते हैं.
नागा साधुओं के शवों का दाह संस्कार नहीं किया जाता है. नागा साधुओं को भू समाधि दी जाती है. नागा को सिद्ध योग की मुद्रा में बैठाकर समाधि दी जाती है.