शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का असली नाम क्या, पढ़ाई में थे अव्वल, कबड्डी-कुश्ती के अच्छे खिलाड़ी, फिर क्यों लिया संन्यास
swami nischalananda saraswati: शंकराचार्य निश्चलानंद एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु और शंकराचार्य परंपरा के एक प्रमुख व्यक्ति हैं. इनका असली नाम बचपन का कुछ और था. गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती मैथामैटिक्स के एक्सपर्ट हैं.इन्होंने मैथामैटिक्स पर कई बुक्स लिखी हैं.
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु और शंकराचार्य परंपरा के एक प्रमुख व्यक्ति हैं. वह गोविंद मठ, पुरी के शंकराचार्य हैं और उन्हें हिंदू धर्म और दर्शन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता है.
आइए जानते हैं....
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स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ओडिशा के पुरी की गोवर्धन पीठ के 145वें और वर्तमान शंकराचार्य हैं.आइए जानते हैं कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती कौन हैं..इनका असली नाम क्या था..
निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का जन्म
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पुरी पीठ के वर्तमान शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज का जन्म 30 जून 1943 को बिहार के मधुबनी जिले के हरिपुर बक्शी टोल नामक गाँव में हुआ था. 17 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और अपनी जीवन यात्रा की खोज में निकल पड़े.आइए जानते हैं
परिवार में कौन -कौन
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वे दरभंगा के महाराजा के राज-पंडित के पुत्र है. उनके पिता पंडित श्री लालवंशी झा और माता श्रीमती गीता देवी थीं. उनके पिता मिथिला परंपरा में संस्कृत के उच्च कोटि के विद्वान थे और मिथिला (दरभंगा साम्राज्य) के तत्कालीन राजा के दरबारी विद्वान थे.
हिंदू धर्म और दर्शन पर कई पुस्तकें लिखी
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स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म और दर्शन पर कई पुस्तकें लिखी हैं और उन्हें उनके ज्ञान और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए जाना जाता है. वह एक प्रसिद्ध व्याख्याता भी हैं और उन्होंने विश्वभर में व्याख्यान दिए.
क्या था बचपन का नाम
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शंकराचार्य निश्चलानंद स्वामी का जन्म बिहार प्रान्त के दरभंगा मधुबनी जिले के हरिपुर बख्शी टोल मानक गांव में हुआ था. उनके बचपन का नाम नीलाम्बर था. सभी इसी नाम से पुकारते थे.
दिल्ली में प्रारंभिक शिक्षा
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शंकराचार्य निश्चलानंद के अनुयायी देश विदेश दोनों जगह पर हैं, उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में हुई थी. उसके बाद उनकी सारी पढ़ाई बिहार में ही हुई है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव कलुआही और लोहा में और बाद में दिल्ली में हुई.
खेलों में भी दिलचस्पी
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बताया जाता है कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद पढ़ाई के साथ-साथ कुश्ती,कबड्डी के अलावा फुटबॉल के भी अच्छे खिलाड़ी रह चुके हैं.
सन्यास के बाद नाम पड़ा निश्चलानन्द सरस्वती
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18 अप्रैल 1974 को हरिद्वार में लगभग 31 साल की आयु में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज के शरण में उनका संन्यास सम्पन्न हुआ. फिर उसके बाद उनका नाम निश्चलानन्द सरस्वती रखा गया.
पुरी के 145 वें शंकराचार्य पद पर पदासीन
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गोवर्धन मठ पुरी के तत्कालीन 144 वें शंकराचार्य पूज्यपाद जगद्गुरु स्वामी निरंजन देव तीर्थ महाराज ने स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी मानकर 9 फरवरी 1992 को उन्हें अपने गोवर्धन मठ पुरी के 145 वें शंकराचार्य पद पर पदासीन किया.
गोवर्धन मठ पुरी के 145वें शंकराचार्य
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वह गोवर्धन मठ के 144वे शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निरंजन देव की शरण में आए. इसके बाद स्वामी निरंजन देव ने स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी मानकर 9 फरवरी 1992 को गोवर्धन मठ पुरी के 145वें शंकराचार्य पद की जिम्मेदारी सौंपी.
डिस्क्लेमर
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लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.
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