Basti Lok Sabha Chunav 2024: समाजवादी पार्टी व कांग्रेस नेता साल 2024 में बीजेपी की रफ्तार कम करने के लिए विपक्षी एकजुटता की बात की है. ये बातें सच हैं तो तय है कि विपक्ष अपने आप को पहले से कहीं अधिक खुद को मजबूत पाती है. पिछली बार सपा व बसपा साथ लड़ पर लाभ नहीं हुए, वोट कटे सो अलग. इस बार 2024 में BJP ने हरीश द्विवेदी को उतारा है.
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Basti Lok Sabha Chunav 2024: बस्ती वो धरती है जहां पर महर्षि वशिष्ठ का आश्रम हुआ करता था ऐसे में प्राचीन भारत में इस भूमि को 'वैशिष्ठी' के नाम से भी जाना जाता है. राजा कल्हल के द्वारा इस जगह का नाम बस्ती रखा गया था. लोकसभा सीट की बात करें तो साल 2014 और साल 2019 के चुनावों में लगातार विजयी होने वाली बीजेपी तीसरी बार भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहेगी. इस बार 2024 में BJP ने हरीश द्विवेदी को उतारा है. हालांकि अपनी तैयारी में विपक्ष भी लगा हुआ है. बस्ती की पांच विधानसभा सीटों में से जो तीन सीटें हैं उस पर सपा का कब्जा है और एक पर 2022 में उसी की गठबंधन पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पास है. एक सीट ही बीजेपी के है. कई विरोधाभासों अपने समाए हुए बस्ती सीट पर 2024 में काफी कड़ी टक्कड़ होने वाली है.
बस्ती लोकसभा क्षेत्र में आने वासे बस्ती सदर सीट से महेन्द्र नाथ यादव विधायक है और समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं. सपा के कविन्द्र चौधरी कप्तानगंज विधानसभा सीट से, सपा के राजेन्द्र चौधरी रुधौली से और सुभासपा के दूधराम विधायक महादेवा से हैं. बीजेपी को बस्ती की केवल 2022 में एक हर्रैया सीट मिल पाई. यहां से पार्टी के अजय सिंह विधायकी जीते. बस्ती की क्षेत्रफल के अनुसार यह प्रदेश का सातवां सबसे बड़ा जिला है जहां कि जतीय समीकरण कुछ इस तरह है कि दलित, ब्राह्मण, क्षत्रिय, कुर्मी के साथ ही मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र में वो वोटर जो अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं निर्णायक माने जाते हैं. अनुमान के मुताबिक देखें तो यहां पर
अलग अलग वर्गों के लोगों की संख्या
करीब 5.98 लाख सवर्ण
करीब 6.20 लाख ओबीसी
करीब 4.30 लाख अनुसूचित जाति
करीब 1.83 लाख मुस्लिम हैं.
85 फीसदी हिंदू हैं
जनसंख्या के बारे में
यूपी की 31वां सबसे घनी जनसंख्या वाला जिला है.
करीब 2019 में कुल मतदाता 18,31,666 रहे.
990184 पुरुष की संख्या
841345 महिला की संख्या
137 थर्ड जेंडर के मतदाता की संख्या
2011 की जनगणना पर गौर करें तो बस्ती में 24,64,464 जनसंख्या है.
सीट का इतिहास
देश की आजादी के बाद 1952 में पहली बार बस्ती में लोकसभा चुनाव कराए गए जिसमें कांग्रेस ही कांग्रेस थी.
1952 में उदय शंकर दुबे ने पहले चुनाव में जीत हासिल की.
1957 के लोकसभा चुनाव में दूसरे चुनाव में निर्दल उम्मीदवार के रूप से रामगरीब विजयी हुए.
1957 के उपचुनाव और 1962 के चुनाव में कांग्रेस जीती. केशव देव मालवीय जीते.
1967 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शिवनारायण की जीत हुई.
1971 में अनंत प्रसाद धूसिया ने सीट पर कब्जा किया.
1977 के चुनाव में शिवनारायण भारतीय लोकदल से जीते.
1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) के प्रत्याशी बनकर कल्पनाथ सोनकर विजई हुए.
1984 में भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उम्मीदवारी करते हुए राम अवध प्रसाद जीते.
1989 में जनता दल की ओर से कल्पनाथ सोनकर जीते.
1991 में पहली दफा बीजेपी की जीत हुई. तब रामजन्मभूमि आंदोलन का माहौल था.
फिर बीजेपी लगातार 1996, 1998 और 1999 में जीतती रही.
2004 का चुनाव में बीएसपी से लालमणि प्रसाद जीते.
2009 के चुनाव में भी बीएसपी ने सीट पर फिर से जीत पाई. उम्मीदवार अरविंद कुमार चौधरी थे.
2014 में मोदी लहर थी और हरीश द्विवेदी ने जीत हासिल की.
2019 में भी हरीश द्विवेदी ने जीत बरकरार रखी. वर्तमान में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव हैं.
पिछली बार बसपा के वरिष्ठ नेता रामप्रसाद चौधरी दो नंबर पर रहे.
पिछले परिणाम
2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 58 प्रतिशत वोटिंग बस्ती में हुई और वोट देने वालों की कुल संख्या 10 लाख 38 हजार 366 थी. बीजेपी उम्मीदवार हरीश द्विवेदी इस चुनाव में 3 लाख 57 हजार 680 वोट पाकर जीते. 3 लाख 24 हजार 118 वोट समाजवादी पार्टी के बृजकिशोर सिंह डिंपल को मिला और रामप्रसाद चौधरी 27 फीसदी वोट पा सके जोकि बसपा के उम्मीदवार रहे थे.
2019 के चुनाव में हरीश द्विवेदी की जीत
हरीश द्विवेदी एक बार 2019 के चुनाव में जीत गए और इस चुनाव में उनको जनता ने 471162 वोट दिए. 440808 वोट पाकर सपा-बसपा गठबंधन से उतरे बसपा के उम्मीदवार रहे राम प्रसाद चौधरी दूसरे पायदान पर रहें. तीसरे स्थान पर कांग्रेस ने राज किशोर सिंह को टिकट दिया था जिसके वोटों की संख्या 86920 वोट पा सकें.
बस्ती लोकसभा सीट से अब तक जीते सांसद
1957: राम गरीब (निर्दलीय), 1957: (उपचुनाव) केशव देव मालवीय (कांग्रेस)
1962: केशव देव मालवीय (कांग्रेस), 1967: शिव नारायण (कांग्रेस)
1971: अनंत प्रसाद धूसिया (कांग्रेस), 1977: शिव नारायण (भारतीय लोकदल)
1980: कल्पनाथ सोनकर (कांग्रेस- आई), 1984: राम अवध प्रसाद (कांग्रेस)
1989: कल्पनाथ सोनकर (जनता दल), 1991: श्याम लाल कमल (बीजेपी)
1996, 1998 और 1999: श्रीराम चौहान (बीजेपी)
2004: लालमणि प्रसाद (बीएसपी), 2009: अरविंद कुमार चौधरी (बीएसपी)
2014: हरीश द्विवेदी (बीजेपी), 2019: हरीश द्विवेदी (बीजेपी)
क्या होगा यदि विपक्ष एक हो जाए?
समाजवादी पार्टी व कांग्रेस नेता साल 2024 में बीजेपी की रफ्तार कम करने के लिए विपक्षी एकजुटता की बात की है. ये बातें सच हैं तो तय है कि विपक्ष अपने आप को पहले से कहीं अधिक खुद को मजबूत पाती है. पिछली बार सपा व बसपा साथ लड़ पर लाभ नहीं हुए, वोट कटे सो अलग. बीजेपी यहां से फिर भी जीत गई. सपा के स्थानीय नेता सीट पर पिछले 10 साल लगातार काबिज रही बीजेपी से जनता की नाराजगी का दावा करने लगे हैं और विपक्ष को एकजुट होकर कामयाबी हासिल पाने की बाते भी सुनने को मिल रही है. दूसरी ओर बीजेपी के स्थानीय नेता विपक्ष को मुद्दा विहीन मान रहे है और और मोदी-योगी डबल इंजन सरकार के कामों को गिना रहे हैं. जीत की उम्मीद लगा रहे हैं.