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मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते...अटलजी के जोश से भर देने वाले ये अनमोल विचार

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहाजी वाजपेयी की जयंती पर पूरा देश उनको याद कर रहा है. विरोधियों को भी अपनी वाकपटुता से कायल बना लेने वाले अटल बिहारी वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते थे.

गलतियों को छुपाने की कोशिश मत करो...

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गलतियों को छुपाने की कोशिश मत करो...

“कभी भी अपनी गलतियों को छुपाने की कोशिश मत करो, इससे आप खुद को और दूसरों को धोखा देंगे”. राजनीति एक कला है, यह सेवा का माध्यम भी है और नेतृत्व का भी”. 

देशभक्ति का मतलब सिर्फ प्रेम नहीं...

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देशभक्ति का मतलब सिर्फ प्रेम नहीं...

संघर्ष से भागो मत, क्योंकि संघर्ष से ही जीवन की मिठास आती. “देशभक्ति का मतलब सिर्फ प्रेम नहीं, बल्कि देश के प्रति जिम्मेदारी भी है”

मजहब का शोषण न किया जाए...

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मजहब का शोषण न किया जाए...

मनुष्य-मनुष्य के संबंध अच्छे रहें, सांप्रदायिक सद्भाव रहे, मजहब का शोषण न किया जाए, जाति के आधार पर लोगों की हीन भावना को उत्तेजित न किया जाए, इसमें कोई मतभेद नहीं है. 

जीवन एक फूल के समान...

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जीवन एक फूल के समान...

जीवन एक फूल के समान है, इसे पूरी ताकत के साथ खिलाओ. जलना होगा, गलना होगा और हमें कदम मिलाकर एक साथ चलना होगा. 

हारना जीवना का एक मुख्‍य हिस्‍सा...

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हारना जीवना का एक मुख्‍य हिस्‍सा...

जीतना और हारना जीवन का एक मुख्य हिस्सा है, जिसे हमें समानता के साथ देखना चाहिए. इंसान बनो केवल नाम से नहीं, रूप से नहीं, शक्ल से नहीं हृदय से, बुद्धि से, संस्कार से, ज्ञान से. 

 

दूसरों के लिए जिए...

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दूसरों के लिए जिए...

मनुष्य जीवन अनमोल निधि है पुण्य का प्रसाद है. इसे केवल अपने लिए ही ना जीए, दूसरों के लिए भी जिए. अपना जीवन जीना एक कला है, एक विज्ञान है। इन दोनों में समन्वय आवश्यक है. 

मन हारकर मैदान न जीते...

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मन हारकर मैदान न जीते...

मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन जीते जाते हैं. छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता. 

भुखमरी ईश्‍वर का विधान नहीं...

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भुखमरी ईश्‍वर का विधान नहीं...

भुखमरी ईश्वर का कोई विधान नहीं है बल्कि यह तो मानवीय व्यवस्थाओं की विफलता का परिणाम है. अपने जीवनरूपी फूल को पूर्ण शक्ति और साहस के साथ खिलाएं. 

अपना देश एक मंदिर है...

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अपना देश एक मंदिर है...

मनुष्य को चाहिए कि वह परिस्थितियों से लड़ें, एक स्वप्न टूटे, तो दूसरा गढ़े. अपना देश एक मन्दिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्रदेव की पूजा में हमने अपने आपको को समर्पित कर देना चाहिए. 

 

पौरुष और पराक्रम...

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पौरुष और पराक्रम...

पौरुष, पराक्रम, वीरता हमारे रक्त में है. यह हमारी महान परंपरा का अभिन्न अंग है. यह संस्कारों द्वारा हमारे जीवन में ढाली गई है. 

मानव कल्‍याण...

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मानव कल्‍याण...

हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव कल्याण तथा उसकी कीर्ति के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी भी कदम पीछे नहीं हटाएंगे.