उत्तर प्रदेश में अब संपत्ति की सुरक्षा के लिए रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण जरूरी होगा. यूपी सरकार ने स्टाम्प शुल्क को बेहद कम रखने का फैसला किया है, जिससे लोग इसे आसानी से रजिस्टर करा सकें. एक साल से ज्यादा के रेंट एग्रीमेंट पर 500 रुपये से 20,000 रुपये तक का स्टाम्प शुल्क देना होगा.
पंजीकृत रेंट एग्रीमेंट में लिखी गई शर्तें ही कानूनी रूप से मान्य होंगी, जिन पर कोर्ट में दावा किया जा सकेगा. इससे मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद की संभावनाएं कम होंगी.
अभी अधिकतर लोग 100 रुपये के स्टाम्प पर इकरारनामा कर लेते हैं, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं होता. सरकार इसे खत्म कर पंजीकृत एग्रीमेंट को ही मान्यता देने की तैयारी कर रही है.
किरायेनामा पंजीकरण को आसान बनाने के लिए एक डिजिटल पोर्टल बनाया जाएगा. इस पोर्टल पर तय फॉर्मेट में एग्रीमेंट डाउनलोड कर उसे स्टाम्प पर चिपकाने से कानूनी वैधता मिल जाएगी।
एक साल तक के एग्रीमेंट पर किराए का 2% शुल्क लगेगा. दो लाख रुपये तक के किराए पर 500 रुपये, पांच लाख रुपये तक के किराए पर 5000 रुपये, और एक करोड़ रुपये से ज्यादा के किराए पर सिर्फ 20,000 रुपये स्टाम्प शुल्क देना होगा.
राज्य सरकार महिलाओं को संपत्ति खरीदने पर छूट देने की तैयारी कर रही है. अभी तक यह छूट 10 लाख रुपये तक की संपत्ति पर थी, जिसे अब 1 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव है.
यदि कोई महिला 1 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदती है, तो उसे स्टाम्प शुल्क में 1% की छूट दी जाएगी. इससे उन्हें अधिकतम 1 लाख रुपये तक का फायदा हो सकता है.
वर्तमान में 90 लाख रुपये की संपत्ति पर 7% और 10 लाख रुपये पर 6% स्टाम्प शुल्क लगता है. नए नियम लागू होने के बाद 7% की जगह 6% शुल्क लगेगा, जिससे महिलाओं को सीधा फायदा होगा.
अगर किरायेदार या मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण नहीं कराते हैं, तो वे कानूनी रूप से किसी भी तरह का दावा नहीं कर पाएंगे. अब केवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट को ही कोर्ट में मान्यता मिलेगी.
सरकार का मानना है कि कम स्टाम्प शुल्क से ज्यादा लोग रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर कराएंगे, जिससे राजस्व में वृद्धि होगी. वहीं, महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने को बढ़ावा देकर महिला सशक्तिकरण को भी मजबूत किया जाएगा.