UP News: उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग से जुड़ा बड़ा फैसला हुआ है. हाल ही में एसटीएफ ने ऐसे 382 शिक्षकों के खिलाफ जांच पूरी कर उनको बर्खास्त करने की संस्तुति की है. इन सभी की जांच बीते करीब साढ़े तीन सालों के दौरान हुई है.
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विशाल सिंह/ लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग से जुड़ा बड़ा फैसला हुआ है. हाल ही में एसटीएफ ने ऐसे 382 शिक्षकों के खिलाफ जांच पूरी कर उनको बर्खास्त करने की संस्तुति की है इनमें सर्वाधिक 52 शिक्षक देवरिया के हैं. फर्जी दस्तावेज लगाकर सरकारी नौकरी हासिल करने वाले प्रदेश के 382 शिक्षकों को जल्द बर्खास्त किया जा सकता है. बता दें की यूपी STF ने जांच के बाद दोषी पाए गए शिक्षकों को बर्खास्त करने के लिए 48 जिलों के Basic Education Officers को पत्र लिखा है. एसटीएफ बीते करीब पांच वर्ष से फर्जी दस्तावेज लगाकर शिक्षक की नौकरी हासिल करने के मामले की जांच कर रही है. एसटीएफ के अनुमान के मुताबिक प्रदेश में इस तरह के करीब 50 हजार शिक्षक हैं, जो दूसरे की मार्कशीट लगाकर नौकरी हासिल की और सालों से काम कर रहे हैं.
जल्द अपडेट होगी शिक्षकों की लिस्ट
हाल ही में एसटीएफ ने ऐसे 382 शिक्षकों के खिलाफ जांच पूरी कर उनको बर्खास्त करने की संस्तुति की है इनमें सर्वाधिक 52 शिक्षक देवरिया के हैं इसके अलावा मथुरा के 43, सिद्धार्थनगर के 29 शिक्षक हैं. बाकी जिलों के टीचरों की सूची जल्द अपडेट की जाएगी. यूपी एसटीएफ ने जांच के बाद दोषी पाए गए अध्यापकों को बर्खास्त करने के लिए 48 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा है. इन सभी की जांच बीते करीब साढ़े तीन वर्षों के दौरान की गयी है.
382 शिक्षकों के खिलाफ जांच पूरी
बता दें कि एसटीएफ बीते करीब 5 साल से फर्जी दस्तावेज लगाकर शिक्षक की नौकरी हासिल करने के मामले की जांच कर रही है. एसटीएफ के अनुमान के मुताबिक प्रदेश में इस तरह के करीब 50 हजार अध्यापक हैं, जिन्होंने दूसरे की मार्कशीट लगाई और नौकरी हासिल की और सालों से काम कर रहे हैं. अभी हाल ही में एसटीएफ ने ऐसे 382 शिक्षकों के खिलाफ जांच पूरी की है. उनको बर्खास्त करने की संस्तुति की है.
2006 से 2016 तक हुए भर्ती
STF के सूत्रों के मुताबिक ये भर्तियां साल 2006 से 2016 के बीच हुई थी. जांच के बाद एसटीएफ और पुलिस की जांच के बाद देवरिया में बीते दिनों 85 शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है. अब एसटीएफ मुख्यालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि कैसे जालसाजों ने सरकारी सिस्टम को धता बैठाकर फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर नौकरी हासिल की थी.बेसिक शिक्षा विभाग के डाटाबेस की गहनता से पड़ताल जारी है.