Shamli News: शामली में एक झोलाछाप डॉक्टर की वजह से दो गोद सूनी हो गईं. आरोप है कि डॉक्टर ने पैसा वसूलने के लिए बेवजह बच्चों को भर्ती किया. इसके बाद कमरे का एसी और पंखा तेज कर खुद सो गया.
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शामली : यूपी में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक लगातार झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी भी इस पर लगाम नहीं लग पा रही है. शामली जनपद में एक झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही की वजह से दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई. मामला कैराना के एक क्लीनिक का है जहां जरूरत से ज्यादा एसी की ठंड की वजह से बच्चों की मौत हो गई. नवजात बच्चों की मौत पर परिजनों ने जमकर बवाल काटा.
सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर डॉक्टर को हिरासत में ले लिया. साथ ही सीएमओ को मामले से अवगत कराया. बताया जा रहा है कि शनिवार सुबह लगभग 3 बजे गांव बसेडा निवासी नाजिम की पत्नी तस्मीना ने सरकारी अस्पताल पर एक बेटे को जन्म दिया. नाजिम की मां रुखसाना के मुताबिक रात में ही अस्पताल पर मौजूद आशा ने कहा कि बच्चे के स्वास्थ्य में कमी है और फोन करके पास ही स्थित देव क्लीनिक के डॉक्टर नीटू को बुला लिया.
दो चिराग बुझा दिए
नीटू ने बच्चों को देखकर कहा कि इसे 72 घंटे मशीन में रखना पड़ेगा. पेट में इसके गंदा पानी चला गया है. इसके बाद बच्चे को देव क्लीनिक पर एडमिट कर लिया. इसके अलावा आर्य पुरी निवासी ताहिर की पत्नी ने शनिवार दोपहर 12 बजे सरकारी अस्पताल में एक बेटे को जन्म दिया. ताहिर भी अपने नवजात बेटे को दिखाने के लिए देव क्लीनिक पर ले गया. डॉक्टर ने इसे भी 72 घंटे मशीन में रखने की सलाह दी. इस तरह उसे भी एडमिट कर लिया. रविवार सुबह 5 बजे परिजनों ने देखा कि दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी. इसके बाद दोनों बच्चों के परिजनों ने हंगामा कर दिया.
परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर एयर कंडीशन और पंखा खोलकर सो गया. इससे ठंड लगने से बच्चों की मौत हो गई है. सूचना पर प्रभारी कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर नेत्रपाल सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और डॉक्टर को हिरासत में ले लिया.
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आठ साल से कर रहा है उपचार
आसपास के लोगों का कहना है कि क्लीनिक पिछले आठ साल से चल रहा था. कथित डॉक्टर ने बताया कि वह केवल 12वीं पास है. सवाल है कि जिले का स्वास्थ्य विभाग किस तरह उदासीन है. आठ साल से एक 12वीं क्लास पास शख्स बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करता रहा और स्वास्थ्य विभाग सरकार से मोटी मोटी सैलरी लेता रहा. ऐसे में सीएमओ समेत चिकित्सा प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है.
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