Preethi Pal: उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर सिर्फ खेलों के सामान बनाने के लिए नहीं बल्कि विश्व स्तरीय खिलाड़ी भी देता है. इसी बात को सच साबित करते हुए मेरठ की बेटी प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिलाओं की 100 मीटर (T35) रेस में भारत को कांस्य पदक दिलाया है. पढ़िए प्रीति पाल की मेहनत और सफलता की कहानी इस लेख में.
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Paris Paralympics 2024: उत्तर प्रदेश का मेरठ शहर सिर्फ खेलों के सामान बनाने के लिए नहीं बल्कि विश्व स्तरीय खिलाड़ी भी देता है. इसी बात को सच साबित करते हुए मेरठ की बेटी प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिलाओं की 100 मीटर (T35) रेस में भारत को कांस्य पदक दिलाया है. प्रीति का जन्म साल 2001 में मेरठ में हुआ था.
बिमारी से हैं ग्रसित
आपको बता दें कि प्रीति पाल सेरेब्रल पाल्सी नाम की एक बिमारी से ग्रसित हैं. यह एक ऐसी बिमारी होती है जो दिमाग को प्रभावित करता है. इसमें सही से नहीं चल पाना, कुछ सीखने, सुनने, देखने और सोचने जैसी परेशानी होती है. सही से इलाज न होने के कारण यह बिमारी के साथ प्रीति ने जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करने का फैसला लिया था.
नहीं हारी हिम्मत
सेरेब्रल पाल्सी की बिमारी से पीड़ित होने के बाद भी प्रीति ने हिम्मत नहीं हारी. जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, नई दिल्ली आकर प्रीति ने कोच गजेंद्र सिंह के प्रशिक्षण लेना शुरू कर किया. लगातार मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ प्रीति ने मई 2024 में जापान के कोबे में हुई विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतते हुए पेरिस पैरालंपिक 2024 को लिए कोटा हासिल किया था. आपको बता दें कि 21 साल की उम्र में प्रीति भारत के नेशनल चैंपियन भी हैं.
पैरालंपिक में जीता कांस्य
प्रीति पाल ने शुक्रवार के दिन पेरिस में चल रहे पेरिस पैरालंपिक 2024 महिलाओं की 100 मीटर (T35) रेस की दूरी 14.31 सेकंड में तय की थी. स्पर्धा में गोल्ड और सिल्वर दोनों पदक चीन के खिलाड़ियों ने जीते हैं. आपको बता दें कि T35 उन खिलाड़ियों के लिए वर्ग है. जिन्हें समन्वय संबंधी विकार जैसे हाइपरटोनिया, अटैक्सिया और एथेटोसिस तथा मस्तिष्क पक्षाघात आदि शामिल होते हैं.
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