बनारस से सटा मिर्जापुर शहर पहाड़ियों से घिरा है. मां विंध्यवासिनी धाम भी यहीं है. मां मां विंध्यवासिनी धाम में हर साल लाखों करोड़ों लोग दर्शन करने आते हैं.
सत्तेशगढ़ में स्थित आश्रम में महराज अड़गड़ानंद का सत्संग सुनने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. राजनेता से लेकर ब्यूरोक्रेट्स तक महराज का आशिर्वाद लेने के लिए आश्रम पहुंचते हैं.
कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बातचीत करके आशीर्वाद लिया था. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित कई बड़े राजनेता भी अड़गड़ानंद महराज के अनन्य भक्त हैं.
वहीं, स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने गीता को सरल भाषा में लिखा है. इसे यथार्थ गीता नाम दिया गया. स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज का आश्रम मीरजापुर में है.
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज 23 वर्ष की आयु में सत्य की खोज में परमहंस जी के पास आ गए थे. बता दें कि परमानंद जी का आश्रम चित्रकूट में अनुसुइया, सतना, मध्य प्रदेश में जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों के बीच था.
वह सिद्ध ऋषि थे. बताया जाता है कि परमहंस जी को स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज के आने की सूचना कई साल पहले ही प्राप्त हो गई थी.
स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज ने 'यथार्थ गीता' का साधारण शब्दों में व्याख्यान किया है. स्वामी जी ने श्रीमदृभागवत गीता पर आधारित एक ग्रंथ 'यथार्थ गीता' की रचना की है, जो काफी लोकप्रिय है
स्वामी जी से मिलने के लिए यूपी ही नहीं देशभर के बड़े-बड़े राजनेता उनके आश्रम पहुंचते हैं. स्वामी जी का आश्रम मिरजापुर के सक्तेशगढ़ में है.
चुनार के सत्तेशगढ़ में स्थित आश्रम में सुबह और शाम सत्संग होता है. महराज को सुनने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. खास बात यह है कि भक्तों द्वारा ही आश्रम में भंडारे का आयोजन होता है और व्यवस्था स्वयं भक्त देखते हैं.
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