दरअसल, प्रख्यात चिकित्सक रहे गिरिराज किशोर गुप्ता में भगवान गणेश में अटूट आस्था थी.
16 साल के निरंतर निजी प्रयासों के बाद संभल में ही 145 फीट गणेश की प्रतिमा का निर्माण संभव हो सका.
नृत्य मुद्रा में भगवान गजानन की इस विराट प्रतिमा को एशिया में सबसे ऊंची प्रतिमा होने का दावा किया गया है.
एशिया में भगवान गणेश की सबसे अधिक ऊंची प्रतिमा के तौर पर इसे गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कराए जाने का दावा पेश किया गया है.
चंदौसी में भगवान गजानन की एशिया की सबसे ऊंची विराट प्रतिमा का सपना देखने वाले भगवान गजानन के भक्त गिरिराज किशोर का निधन हो गया है.
गिरिराज किशोर गुप्ता के बेटे मनोज का दावा है कि भगवान गणेश की नृत्य मुद्रा में निर्मित यह प्रतिमा एशिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है.
उनका कहना है कि एशिया में किसी भी देश में गणपति की 145 फीट ऊंची प्रतिमा मौजूद नहीं है. इससे आध्यात्मिक पर्यटन को भी गति मिलेगी.
मनोज गुप्ता ने बताया कि विशाल गणेश प्रतिमा के निर्माण पर एक करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है.
भगवान गणेश की विराट प्रतिमा के निर्माण के लिए किसी से भी आर्थिक सहयोग नहीं लिया गया है. इस विराट गणेश प्रतिमा की ख़ास बात यह है कि एक पैर पर टिकी हुई है.
भगवान गजानन की विराट प्रतिमा को मजबूती देने के लिए जमीन में 25 फीट से अधिक गहराई पर मजबूत बेस बनाया गया है.
गणेश जी की इस प्रतिमा को देखने अभी से संभल और उसके आसपास के जनपदों से लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. इन चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.