भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 122वीं जयंती 23 दिसंबर को मनाई जाएगी. चौधरी चरण सिंह अपने पूरे जीवन में किसानों और मजदूरों के लिए संघर्ष करते रहे. यही वजह रही कि बाद में वह किसानों और मजदूरों के मसीहा कहलाए. चौधरी चरण सिंह की याद में किसान दिवस मनाया जाता है.
हाथों में हल, आंखों में उम्मीद है, ये कोई और नहीं असली भारत की तस्वीर है. पैरों में जिसके मिट्टी, हाथों में छाले हैं, ये कोई और नहीं अन्नदाता हैं हमारे.
जो सूरज को भी जगाता है, वही अन्नदाता कहलाता है. खेत में किसान, मेरा भारत महान! खेतों में पीली सरसों है लहराती, लगता है किसान की मेहनत रंग लायी है.
जब तक किसानों की स्थिति ठीक नहीं होगी, तब तक देश प्रगति नहीं करेगा. भ्रष्टाचार का अंत ही, देश को आगे ले जा सकता है.
असली भारत गांवों में रहता है. अगर देश को उठाना है तो पुरुषार्थ करना होगा. हम सब को पुरुषार्थ करना होगा, मैं भी अपने आपको उसमें शामिल करता हूं.
राष्ट्र तभी संपन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो तथा ग्रामीण क्षेत्र की क्रय शक्ति अधिक हो.
किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है. किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ती तब तक औद्योगिक उत्पादों की खपत भी संभव नहीं है.
भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी, चाहे कोई भी लीडर आ जाये, चाहे कितना ही अच्छा प्रोग्राम चलाओ. वो देश तरक्की नहीं कर सकता.
सभी पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जनजातियों को अपने अधिकतम विकास के लिये पूरी सुरक्षा एवं सहायता सुनिश्चित की जाएगी.
किसान इस देश का मालिक है, परन्तु वह अपनी ताकत को भूल बैठा है. देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है.
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