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पंचामृत में ये 5 चीजें जरूर मिलाएं, जन्माष्टमी पर इस प्रसाद के बिना छप्पन भोग भी अधूरा

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन देशभर में भक्त अपने घर में मध्यरात्रि में कान्हा का जन्मोत्सव मनाते है. मध्यरात्रि में जन्म के समय यूं तो कान्हा को अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है.

कृष्ण जन्मोत्सव

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कृष्ण जन्मोत्सव

इस साल कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व आज यानी 26 अगस्त को है. जबकि कृष्ण की लीला स्थली कहे जाने वाले वृंदावन में जन्माष्टमी मंगलवार, 27 अगस्त को मनाई जाएगी. 

पंचामृत के बिना अधूरी

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पंचामृत के बिना अधूरी

जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू धर्म में महा उत्सव की तरह मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था. ऐसे में इस दिन कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है. लेकिन ये पूजा पंचामृत के बिना अधूरी है. 

पंचामृत से स्नान

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पंचामृत से स्नान

जन्माष्टमी के दिन आधी रात्रि श्री कृष्ण के जन्म के समय उनकी प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और इसके बाद उसे प्रसाद के रूप में बाटा जाता है. आज हम आपको पंचामृत बनाने का आसान तरीका बताते है. 

 

सामग्री

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सामग्री

जैसा कि नाम है पंचामृत, तो ये 5 चीजों के इस्तेमाल से बनाया जाता है. इसके लिए आपको एक कप में गाय के दूध में 2 बड़े चम्मच गाय के दूध से बनी दही, एक  बड़ा चम्मच देसी घी, एक बड़ा चम्मच शहद और एक बड़ा चम्मच चीनी की चरूरत होगी.

कैसे बनाएं पंचामृत

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कैसे बनाएं पंचामृत

इसके लिए सबसे पहले एक साफ बर्तन में दूध डालें फिर दूध में ताजा दही डालकर मिला लें. तैयार मिश्रण में 1 बड़ी चम्मच घी डालें. आखिर में शहद और चीनी डालकर सभी को एक साथ अच्छे से मिलाए. 

तुलसी के पत्ते

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तुलसी के पत्ते

आप चाहें तो श्री कृष्ण को स्नान कराने के बाद पंचामृत में 2-3 तुलसी के पत्ते, मखाने और काजू, बादाम डालकर इसे प्रसाद के रूप में बांट सकते हैं. 

नियमों का पालन

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नियमों का पालन

पंचामृत बनाते समय कुछ खास नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. इसमें घी को दोगुना मधु डालना चाहिए और मधु का दोगुना शक्कर का इस्तेमाल करना चाहिए. शक्कर से दोगुना दही और दही का दोगुना गाय का दूध डालकर इसे तैयार करना चाहिए. 

कान्हा प्रसन्न होते हैं

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कान्हा प्रसन्न होते हैं

मध्यरात्रि में कान्हा के जन्म के समय इसी पंचामृत से उन्हें स्नान जरूर कराना चाहिए, इससे कान्हा प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा सदैव भक्तों पर बनी होती है