कानपुर में घाटमपुर के भीतरगांव विकासखंड के बेहटा बुजुर्ग गांव का भगवान जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर मानसून की भविष्यवाणी के लिए विख्यात है. इस मंदिर को मानसून की भविष्यवाणी करने वाला मंदिर भी कहा जाता है.
मंदिर की गुंबद में लगा एक पत्थर मानसून के महीने भर पहले बारिश के संकेत देने लगता है. अभी यह पत्थर गीला सा दिखने लगा है. लेकिन इस पर बूंदें नहीं बनी है. बूंदों के आकार को देखकर ही मंदिर के महंत मानसून कैसा रहेगा इसकी भविष्यवाणी करते हैं.
देश-विदेश में मानसून मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले पत्थर से मूर्तियां स्थापित हैं. मुख्य मंदिर की बाहर से दिखने वाली आकृति रथनुमा आकार की है. जो 12 खंभों पर बना हुआ है.
मंदिर के शिखर पर अष्टधातु से बना भगवान विष्णु का चक्र लगा है. इसके अलावा मंदिर के गुंबद में चक्र के अलावा गुंबद पर चक्र के चारों तरफ मोर की आकृतियां बनी हैं. मंदिर की दीवारें लगभग 14 फीट ऊंची हैं.
इस मंदिर में मानसून से पहले पानी टपकता है लेकिन मानसून के दौरान एक बूंद भी पानी का न टपकना किसी चमत्कार से कम नहीं है. देश-विदेश से आने वाले वैज्ञानिक भी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाए हैं.
मंदिर के पुजारी कुड़हवा प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि अभी मानसून की भविष्यवाणी करने में एक सप्ताह लगेगा, क्योंकि मंदिर का पत्थर अभी ठीक से भीगा नहीं है.
मानसून के आने से लगभग 20 दिन पहले मंदिर की गुंबद में लगा पत्थर बड़ी -बड़ी बूंदों के साथ टपकने लगता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि जब मानसून आता है तो यह पत्थर पूरी तरह से सूख जाता है.
बता दें कि पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी के साथ कानपुर में भी बीते रोज 45 डिग्री तापमान दर्ज किया गया था. मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में जल्द ही कोई राहत नहीं मिलने वाली है. गर्म हवाओं यानी लू का प्रकोप जारी रहेगा.
यह खबर सिर्फ धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zee UPUK किसी भी तरह की मान्यता और धारणा की पुष्टि नहीं करता है.