अब उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों पर पहाड़ों की बारिश का असर दिखने लगा है. बारिश की वजह से बलरामपुर व श्रावस्ती की ज्यादातर नदियां या तो उफान पर बह रही हैं या फिर खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं. सैकड़ों गांवों में पानी भर गया है.
बारिश की वजह से बलरामपुर व श्रावस्ती में राप्ती, बहराइच में घाघरा और लखीमपुर में शारदा नदी खतरे के निशान के ऊपर है. बढ़ा पानी तटवर्ती गांवों में घुस चुका है. पीलीभीत में शारदा के तेज बहाव से पीलीभीत-मैलानी रेलखंड पर संडई हाल्ट के पास पुलिया बह गई. रेल पटरी दोनों सिरों के सहारे लटकी है.
उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के चलते बाराबंकी जिले में सरयू नदी खतरे के निशान से 52 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जिससे दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं. इसकी वजह से बाढ़ में फंसे हुए लोगो को रेस्क्यू करके निकाला जा रहा है. सूरजपुर गावं पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. बाढ़ को देखते हुए गांवों से लोग पलायन कर रहे है. कुछ लोगों के तो घर का संपर्क मार्ग भी टूट गया है.
शाहजहांपुर में भी नागरिक प्रशासन द्वारा मांगी गई सहायता के लिए सेना की सूर्या कमान ने गर्रा और खन्नौत नदियों में बढ़ते जल स्तर के बाद लोगों की मदद की. अब तक 112 महिलाओं और 73 बच्चों सहित 264 नागरिकों को बचाया गया है.
गोंडा में पानी एल्गिन ब्रिज पर खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. घाघरा नदी में गिरजा बैराज से 115127, शारदा बैराज से 183480 और सरयू बैराज से 10140 क्यूसेक पानी घाघरा नदी में छोड़ा गया है. नदी के बड़ने से करनैलगंज और तरबगंज तहसील क्षेत्र के लगभग 15 गांव की 13646 जनसंख्या प्रभावित है. वही राहत बचाव कार्य के लिए एक एसडीआरएफ की टीम और एक पीएससी फ्लड की भी टीम लगाई गई है.
पीलीभीत में पिछले तीन दिन से बाढ़ का प्रकोप है यहां शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी भर आया है. घरों में पानी कई फुट तक भर गया है. इसकी वजह से खाने-पीने का सामान सहित घर गृहस्ती का सामान भी पानी में खराब हो गया. इस विपत्ति में अब लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं. पीलीभीत से सटे ग्राम चंदौई में आकर लोगों को खाना व पानी मुहैय्या करा रहे है. इस मौके पर जीएनआरएफ के पीलीभीत व बरेली के सदस्य पहुंचे. लोगों से मिलकर उनका हाल-चाल जाना और उन्हें बाढ़ राहत सामग्री वितरित की.
जौनपुर में ओलंदगंज से लेकर काली कुत्ती जाने वाला मार्ग झील में तब्दील हो गया है. पूरी सड़क पानी से लबालब भर गई. वहीं बच्चे पानी मे तैरते नजर आ रहे है और अमृत योजना के तहत बड़े बड़े गड्ढे खोदे गए है जिससे राहगीरों को काफी दिक्कत हो रही है. नगर पालिका परिषद और अमृत योजना के तहत काम करने वाले जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. इस मार्ग पर कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
विकासनगर में 8 बाढ़ चौकिया बनाई गई है जिनमें 24 घंटे आपदा से निपटने के लिए कर्मचारी तैनात किए गए हैं. इसके अलावा आपदा ग्रस्त क्षेत्र में प्रभावित लोगों के लिए सरकारी भवनों को खाली कराया गया है जो वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर आपदा प्रभावित लोगों के रहने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे. क्षेत्र के हिसाब से मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए प्रशासन अपनी मुस्तैदी को सुनिश्चित करेगा.
शारदा-घाघरा नदियां के उफनने से करीब 150 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. धौरहरा तहसील के गांव रैनी समदहा के 250 ग्रामीण शारदा नदी के उस तलहटी में फंस गए. इसका पता चलने पर प्रशासन ने बाढ़ से घिरे ग्रामीणों को रेस्क्यू कराना शुरू कर दिया. करीब 20 वर्ष पहले आई बाढ़ के समय समदहा गांव के कटान पीड़ित शारदा नदी के पार बस गए थे. इस बार की बाढ़ में यह ग्रामीण फंस गए जिसके बाद एनडीआरएफ की टीम लोगों को रेस्कूय कर रही है.
मुख्यमंत्री योगी अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश में 33 तहसील, 633 गांव व 17 लाख 97 हजार आबादी बाढ़ की चपेट में आई है. जहां 18 हजार से अधिक पशु व एक लाख 45 हजार हेक्टेअर कृषि भूमि अचानक जलप्लावन के कारण प्रभावित हुई है. सभी गांवों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फ्लड पीएसी व स्थानीय स्तर पर नौकाओं की व्यवस्था की गई है. 1033 बाढ़ चौकी स्थापित कर वहां बाढ़ पीड़ितों को रखा जा रहा है.
जिनके घर में पानी भर गया है. उन्हें रेस्क्यू करने की व्यवस्था की गई है. श्रावस्ती में 116 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. जहां पंद्रह गांवों में कटान हुई है. 76 हजार आबादी व 23500 हेक्टेअर कृषि भूमि प्रभावित है. बचाव राहत के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व फ्लड पीएसी के साथ नाव आदि की व्यवस्था की गई है. जिले में चार जनहानि हुई है. पहले से व्यवस्था थी जो भी गांव व व्यक्ति बाढ़ की चपेट में आए हैं. उनके लिए राहत पैकेट की व्यवस्था है. सरकार ने आपदा राहत निधि से इसके लिए पहले ही व्यवस्था बना रखा है.