Shradh 2024: भाद्रपद का महीना शुरू हो गया है. इसके साथ ही पूरे भारत में लोग अपने पितरों को स्मरण और उन्हें खुश करने के लिए कई उपाय करेंगे. 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध 17 सितंबर से शुरू होंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार श्राद्ध की शूरूआत भाद्रपद की पूर्णिमा से होती है तो वहीं इनका समापन अमावस्या के दिन होता है.
सबसे पहले आपको बताते हैं कि पितृ पक्ष का महत्व क्या होता है. इन्हें आम बोल चाल भाषा में श्राद्ध भी कहते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या पर समाप्त होने वाले ये 16 दिन पितरों के लिए समर्पित होते हैं.
इस साल पितृ पक्ष की शुरूआत 16 सितंबर से होगी. 16 तारीख से लोग अपने अपने पितरों की पूजा करके उन्हें खुश करने के उपाय करेंगे.
इन दिनों में पितरों की पूजा करने से वह खुश होकर हमारे वंशजों को तरक्की करने के साथ साथ तृप्त होकर घर में सुख-समृद्धि और धन-वैभव का भी आशीर्वाद देते हैं.
इन 16 दिनों में पितरों की पूजा करने के साथ निमित्त तर्पण, श्राद्ध कर्म और पिंडदान आदि किया जाता है. ऐसा करने से हमारे पूर्वज घर की खुशहाली का आशीष देते हैं.
श्राद्ध कर्म में लोग नियमित रूप से पूजा करने रते हुए घर में दीपक जलाते हैं. और तो और भारतीय वास्तु शास्त्रों घर में ऐसी जगहें भी बताई गई हैं, जहां पितरों का वास होता है.
भारतीय शास्त्रों के अनुसार कई तरह के दीपक जलाए जाते हैं. जैसे मां लक्ष्मी के लिए घी का दीपक, हनुमान जी के लिए चमेली के तेल को शनि देव जी के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है.
ठीक इसी तरह भी पितृ पक्ष में भी जलाए गए विभिन्न तरह कगे दीपक का अलग महत्व होता है. आइए बात करते हैं किस दीपक का क्या महत्व होता है.
शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में दीपक हमें घर के दक्षिण दिशा में, घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक, शाम के समय किचन में पानी की जगह पर दीपक के साथ सभी 16 दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने से पितृ खुश हो जाते हैं.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee UPUK इसके सच होने की पुष्टि नहीं करता है.