सीआपीएफ की 53वीं बटालियन के कांस्टेबल पंकज त्रिपाठी यूपी के महराजगंज जिले के रहने वाले थे. वह इस आत्मघाती हमले में शहीद हुए थे. हमले वाले दिन सुबह ही उनकी पत्नी से बात हुई थी. लेकिन शाम को उनके शहीद होने की खबर परिजनों को मिली.
जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ की बस पर हुए आत्मघाती हमले में अजीत कुमार आजाद उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के रहने वाले थे. उनकी पहली पोस्टिंग साल 2007 में हुई थी. उन्नाव के इस वीर सपूत ने भी देश के लिए अपना जीवन दे दिया.
श्याम बाबू उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के राइगवान, नोनारी, डेरापुर के रहने वाले थे. उनकी पहली पोस्टिंग साल 2006 में हुई. आतंकी हमले में शहीद श्याम बाबू की शादी को 6 साल ही हुए थे.
सीआरपीएफ की 43वीं बटालियन के कांस्टेबल अवधेश प्रसाद भी जम्मू कश्मीर में आत्मघाती हमले में शहीद हुए थे. वह बहादुरपुर जिला चंदौली के रहने वाले थे.
मैनपुरी के लाल राम वकील सीआरपीएफ की 176वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल थे. पुलवामा हमले से कुछ दिन पहले ही उनकी पत्नी से बात हुई थी.
यूपी के शामली जिले के रायपुर के रहने वाले अमित कुमार साल 2017 में सीआरपीएफ में शामिल हुए. परिवार के इकलौते ऐसे सदस्य थे,जिन्होंने आर्मी ज्वाइन की थी.
यूपी के शामली जिले के बनथ के रहने वाले प्रदीप कुमार भी इस हमले में शहीद हुए थे. वह सीआरपीएफ की21वीं बटालियन का हिस्सा थे. वह साल 2003 में सीआरपीएफ में शामिल हुए
आगरा के केहराई के रहने वले कौशल कुमार रावत इस हमले में शहीद हुए थे. परिवार से एक दिन पहले ही उनकी फोन पर बात हुई थी. जिसमें दूसरी जगह पोस्टिंग का उन्होंने जिक्र किया था.
महेश कुमार प्रयागराज के मेजा के रहने वाले थे. 118वीं बटालियन के महेश कुमार कुछ दिन पहले ही घर से दोबारा ड्यूटी पर लौटे थे लेकिन परिजनों को क्या पता था कि उनका लाल तिरंगे में लिपटकर आया
यूपी के देवरिया जिले के भटनी के रहने वाले शहीद विजय कुमार मौर्य सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में कांस्टेबल थे. उन्होंने साल 2008 में सीआरपीएफ ज्वाइन किया था.
कांस्टेबल रमेश यादव सीआरपीएफ की 61वीं बटालियन का हिस्सा थे. वह यूपी के वाराणसी जिले के तोफापुर के रहने वाले थे. पुलवामा हमले में यह वीर सपूत शहीद हुआ था.