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कैंची धाम वाले नीम करोली बाबा का असली नाम क्या था? अकबरपुर में जन्म, 11 साल की उम्र में विवाह के बाद छोड़ा था घर

नीम करोली बाबा को आज भला कौन नहीं जानता है. वह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी वह प्रसिद्ध संत के रूप में जाने जाते हैं.  भक्त बाबा नीम करोली को हनुमान जी का अवतार मानते हैं.

बाबा नीम करोली का जन्म कहां हुआ?

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बाबा नीम करोली का जन्म कहां हुआ?

नीम करोली बाबा उत्तर प्रदेश के अकबरपुर के रहने वाले थे. उनका जन्म साल 1900 के करीब हुआ था.  उनके पिता नाम दुर्गा प्रसाद था.

 

11 साल की उम्र में विवाह

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11 साल की उम्र में विवाह

बताया जाता है कि उनका विवाह केवल 11 साल की उम्र में कर दिया गया था. लेकिन बाबा ने घर छोड़ दिया और गुजरात के वैष्णव मठ में दीक्षा लेकर साधना करने लगे.

 

गृहस्थ जीवन में लौटे

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गृहस्थ जीवन में लौटे

बाबा ने साधना के लिए कई जगहों का भ्रमण किया. लेकिन इसके बाद वह गृहस्थ जीवन में लौट आए. उनके  दो बेटे और एक बेटी हुई. लेकिन 1958 में उन्होंने फिर गृह त्याग दिया.

 

पहुंचे कैंची धाम

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पहुंचे कैंची धाम

इसके बाद वह कई जगहों पर भ्रमण करने के बाद कैंची धाम पहुंच गए. साल 1964 में उन्होंने यहां कैंची धाम की स्थापना की. अपने मित्री के साथ वह यहां पहली बार आए थे और यहां आश्रम बनाने का फैसला किया था.

 

हनुमान जी के उपासक

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हनुमान जी के उपासक

नीम करोली बाबा हनुमान जी के उपासक थे. उन्होंने हनुमान जी के कई मंदिर बनवाए. बाबा के अनुयायी और भक्त उनको हनुमान जी का अवतार मानते हैं.

 

पहुंचे कैंची धाम

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पहुंचे कैंची धाम

इसके बाद वह कई जगहों पर भ्रमण करने के बाद कैंची धाम पहुंच गए. साल 1964 में उन्होंने यहां कैंची धाम की स्थापना की. अपने मित्री के साथ वह यहां पहली बार आए थे और यहां आश्रम बनाने का फैसला किया था.

हनुमान जी के उपासक

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हनुमान जी के उपासक

नीम करोली बाबा हनुमान जी के उपासक थे. उन्होंने हनुमान जी के कई मंदिर बनवाए. बाबा के अनुयायी और भक्त उनको हनुमान जी का अवतार मानते हैं.

 

पैर छूने से करते मना

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पैर छूने से करते मना

बाबा अपने भक्तों को उनके पैर छूने से मना करते थे. जब भी कोई भक्त बाबा के पैर छूने के लिए कहता तो वह हमेशा कहते कि अगर पैर छूना ही हैं तो हनुमान जी के छुएं.

 

कब त्यागा शरीर?

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कब त्यागा शरीर?

रिपोर्ट्स के मुताबिक बाबा आगरा से नैनीताल जा रहे थे तभी उनकी तबीयत बिगड़ गी. वृंदावन में उनको ट्रेन से उतारकर अस्पताल ले जाया गया. बाबा ने तुलसी गंगाजल ग्रहण कर 11 सितंबर 1973 को प्राण त्याग दिए. यहां उनका समाधि मंदिर है.

बाबा नीम करोली का असली नाम?

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बाबा नीम करोली का असली नाम?

नीम करोली बाबा का मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. बाबा जब तक जीवित रहे लोग उन्हें नीम करोली बाबा, तिकोनिया वाले बाबा, तलईया बाबा, लक्ष्मण दास और हांडी वाले बाबा जैसे नामों से जानते थे.

 

कैंची धाम आते हैं दूर-दूर से श्रद्धालु

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कैंची धाम आते हैं दूर-दूर से श्रद्धालु

बाब नीम करोली भले आज जीवित न हों लेकिन उनके भक्त उनको श्रद्धापूर्वक आज भी मानते हैं. वह अलौकिक रूप में भक्तों के बीच आज भी विराजमान हैं.  उनके आश्रम कैंची धाम दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

 

डिस्क्लेमर

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डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. जी यूपीयूके हूबहू इसकी पुष्टि नहीं करता है.