दीपावली के 6 दिन बाद छठ पर्व मनाया जाता है. छठ महापर्व पर छठी मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है. इस बार छठ की शुरुआत 7 नवंबर से हो रही है. छठ पर्व को सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने शुरू किया था. तो आइये जानते हैं छठी मैया से जुड़ी रोचक जानकारी.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं. ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना करते हुए खुद को दो भागों में विभाजित किया था.
एक भाग पुरुष एक रूप में और दूसरा प्रकृति के रूप में था. साथ ही प्रकृति वाले भाग ने खुद को 6 हिस्सों में बाटा था. इसमें से एक मातृ देवी थीं जिहें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है. यही देव सेना छठी माता के नाम से पूजी जाती हैं.
पुराणों के मुताबिक, छठी मैया के पति का नाम कार्तिकेय है. शिव जी और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय छठी माता के अर्धांग हैं.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब भगवान शिव (भगवान शिव के प्रतीक) और माता पार्वती ने कार्तिकेय भगवान से विवाह करने के लिए कहा तब उन्होंने यह शर्त रखी कि उन्हें ऐसी पत्नी चाहिए जिसमें करुणा भी हो और वह शस्त्र कला में निपुण भी हो.
तब शिव-शक्ति ने छठी मैया का विवाह कार्तिकेय जी से करा दिया था. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं.
यही वजह है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि छठ पूजा की जाती है. जिसे हम छठ पूजा के नाम से जानते हैं.
वहीं सूर्य और छठी मैया को त्योहार की देवी के रूप में पूजा जाता है. छठी देवी जिनको प्रकृति के छठे रूप में पूजते हैं.
बता दें कि छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है. छठ पर महिलाएं निर्जला 36 घंटे का उपवास रखती हैं.
छठ पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है. पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है.
इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का समापन होता है. व्रती खरना पूजा के बाद लगातर 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी, 8 नवंबर को देर रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.
ऐसे में 7 नवंबर को संध्याकाल का सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके अगले दिन यानी 8 नवंबर को उगते सुबह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा.
छठ पूजा का पहला दिन, 5 नवंबर 2024 नहाय खाय (मंगलवार), दूसरा दिन, 6 नवंबर 2024- खरना (बुधवार) होगा.
वहीं, छठ पूजा का तीसरा दिन, 7 नवंबर 2024- संध्या अर्घ्य (गुरुवार) को होगा और छठ पूजा का चौथा दिन, 8 नवंबर 2024- उषा अर्घ्य (शुक्रवार) को होगा.
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है. इस दौरान बांस के सूप में फल, गन्ना, चावल के लड्डू, ठेकुआ सहित अन्य सामग्री रखकर पानी में खड़े होकर पूजन किया जाता है.