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कृपालु जी महाराज का असली नाम? 100 करोड़ में कराया प्रेम मंदिर का निर्माण, यूपी से लेकर अमेरिका तक अरबों की संपत्ति

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज देश ही नहीं विदेश में भी फेमस रहे. यही वजह है कि जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को ‘जगद्गुरुत्तम’की उपाधि दी गई. जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज पहले ऐसे गुरु हुए, जिनके एक भी शिष्‍य नहीं हुए. हालांकि, लाखों अनुयायी हुए.

कौन थे जगद्गुरु कृपालु जी महाराज?

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कौन थे जगद्गुरु कृपालु जी महाराज?

जानकारी के मुताबिक, जगद्गुरु कृपालु जी महाराज का जन्म 6 अक्टूबर 1922 को प्रतापगढ़ जिले के मनगढ़ में हुआ था. इनके पिता का नाम ललिता प्रसाद और माता का नाम भगवती देवी था. 

 

14 साल की उम्र में तृप्‍त ज्ञान

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14 साल की उम्र में तृप्‍त ज्ञान

जगद्गुरु कृपालु जी महाराज का पूरा नाम राम कृपालु त्रिपाठी था. कृपाजी जी महाराज ने दसवीं की पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मध्‍य प्रदेश चले गए. इसके बाज महज 14 साल की उम्र में उन्‍हें तृप्‍त ज्ञान प्राप्‍त कर लिया.  

गृहस्‍थ जीवन

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गृहस्‍थ जीवन

कृपालु जी महाराज की शादी होने के बाद वह गृहस्‍थ जीवन में आ गए. कृपालु जी महाराज की पांच संतान हैं. इसमें दो बेटे घनश्याम और बालकृष्ण त्रिपाठी, तीन बेटियां विशाखा, श्यामा और कृष्णा हैं. इसमें विशाखा की मौत हो गई है. 

वेद-पुराण का अध्‍ययन

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वेद-पुराण का अध्‍ययन

कृपालु जी महाराज गृहस्थ जीवन के बावजूद वेद, पुराणों का अध्ययन किया और कृष्ण भक्ति से जुड़ी कथा और प्रवचन किया. काशी विद्युत परिषद ने 14 जनवरी 1957 को उन्हें जगद्गुरु की उपाधि दी. 

जगद्गुरु की उपाधि

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जगद्गुरु की उपाधि

जिस समय कृपालु जी महाराज को जगद्गुरु की उपाधि उस समय उनकी उम्र महज 34 साल थी. इसके बाद उन्‍होंने विदेश में भी धर्म का प्रचार किया. 

वृंदावन में प्रेम मंदिर बनवाया

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वृंदावन में प्रेम मंदिर बनवाया

कृपालु जी महाराज ने मथुरा के निकट वृंदावन में प्रेम मंदिर का निर्माण करवाया. वृंदावन का प्रेम मंदिर बनवाने में 11 साल का समय लगा. इसमें करीब 100 करोड़ रुपये खर्च हुए. इसमें  इटैलियन मार्बल का इस्तेमाल किया गया. 

प्रेम का प्रतीक

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प्रेम का प्रतीक

प्रेम मंदिर को बनाने में यूपी और राजस्थान के हजारों शिल्पकारों को लगाया गया था. यह ताजमहल की तरह मोहब्बत के दीवानों के लिए प्रेम का सबसे बड़ा प्रतीक है. 

 

वैलेंटाइन डे पर भूमि पूजन

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वैलेंटाइन डे पर भूमि पूजन

जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने वैलेंटाइन डे के दिन 14 फरवरी 2001 को प्रेम मंदिर का भूमि पूजन किया था. 11 साल बाद 17 फरवरी 2012 वैलेंटाइन वीक में यह मंदिर खोला गया.

कृपालु जी महाराज का निधन

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कृपालु जी महाराज का निधन

कृपालुजी महाराज का निधन 91 साल की उम्र में 15 नवंबर 2013 को हो गया था. प्रतापगढ़ में उनके आश्रम में वो फिसल गए और उनके सिर में गहरे जख्म के बाद वो कोमा में चले गए. 

मेदांता में चला था इलाज

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मेदांता में चला था इलाज

इसके बाद कुछ समय तक गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज चला. उपचार के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई. आज उनके लाखों अनुयायी हैं, जो देश ही नहीं विदेश में भी हैं.