Ghewar In Monsoon: घेवर (Ghevar) का नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है... सावन के महीने में घेवर एक स्पेशल मिठाई है. ये एक ऐसी मिठाई है जो रक्षाबंधन (Rakshavbandhan) के आसपास ही मिलनी शुरू होती है...रक्षाबंधन और तीज दोनों ही त्योहार घेवर के बिना अधूरे माने जाते हैं...
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Ghevar In Monsoon: भारत में त्योहार का मतलब पकवानों जश्न. क्योंकि बिना पकवान के भारत के त्योहार अधूरे हैं. सावन का महीना चल रहा है. हर त्योहार के अपने खास पकवान होते हैं. और आज हम आपके लिए ऐसी एक स्वीट डिश लेकर आए हैं जिसका ताल्लुक राजस्थान से हैं. हम बात कर रहे हैं घेवर की , जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. आमतौर पर घेवर (Ghevar Recipe) राजस्थान से पैदा हुई मिठाई कहा जाता है. पर भारत की कई जगहों पर ये काफी प्रसिद्ध है. इसे सावन और राखी के त्योहार पर हर घर में आसानी से देखा जा सकता है. कई घरों में तो घेवर के बिना मानसून (monsoon) गुजरता नहीं और वैसे इस मिठाई का सिर्फ स्वाद ही नहीं इसके गुण भी खास हैं.
ये एक ऐसी मिठाई है जो रक्षाबंधन (Rakshavbandhan) के आसपास ही मिलनी शुरू होती है. या यूं कहें की मानसून में ही ज्यादा मिलती है. वैसे इस मिठाई का सिर्फ स्वाद ही नहीं इसके गुण भी बहुत खास होते हैं. राखी के दिन भी ये मिठाई खासतौर से बुलवाई जाती है. आइए जानते हैं इस मिठाई के बारे में बहुत कुछ.
इस मौसम में ही क्यों मिलता है घेवर?
घेवर एक ऐसी स्वीट डिश है जो घी से बनती है. मानसून के मौसम में कई लोगों को वात और पित्त की शिकायत होती है. शरीर में सूखापन हो जाता है या एसिडिटी हो जाती है. जिसके कारण थकान और बेचैनी लगती है. ऐसे में घेवर शरीर में फैट बैलेंस करने के काम आता है. घी में तले होने की वजह से घेवर शरीर की ड्राईनेस को कम करता है. इसलिए देसी घी में बने घेवर खाने की ही सलाह दी जाती है. ताकि बॉडी का कोलेस्ट्रोल भी कंट्रोल रहे. इसके साथ ही शुगर पेशेंट को भी बैलेंस मात्रा में घेवर खाने की सलाह दी जाती है.
मानसूर की नमी भी होती है मददगार
मानसून के मौसम में नमी भी मौजूद होती है. जो घेवर के लिए फायदेमंद होती है. इस मौजूद ये नमी घेवर को नर्म बनाकर रखती है.इसके साथ ही इस नमी की वजह से घेवर की मिठास और रसीलापन बरकरार रहता है. घेवर मैदे से बनता है इसलिए इसके सूखने के चांजेज बहुत अधिक होते हैं. लेकिन मौसम की नमी इसे नर्म रखती है.
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इम्यूनिटी बूस्टर है घेवर
घेवर को इम्यूनिटी बूस्टर मिठाई भी कहा जाता है. घेवर को चाश्नी में डुबोने के बाद उस पर रबड़ी और ड्राई फ्रूट्स भी डाले जाते हैं. जो शरीर को दूसरे रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं. इसलिए इस मौसम में घेवर खाने का मजा लें. एक्सपर्ट्स की मानें तो घेवर में मावा और मेवों की मात्रा होने से भी मानसून के मौसम में खाना इसे फायदेमंद बताया गया है जो इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है.
राजस्थानी मिठाई है घेवर
आपको बता दें कि घेवर को अंग्रेजी में हनीकॉम्ब डेसर्ट कहा जाता है. राजस्थान में जन्मा घेवर आज पूरे भारत में घेवर बड़े चाव के साथ खाया जाता है. वहीं सदियों से ही ब्रज और उसके आसपास के इलाकों में एक परंपरा चली आ रही है, जिसमें रक्षाबंधन पर बहन घेवर लेकर भाई के घर जाती है. घेवर के बिना भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन अधूरा माना जाता है.
बाजार में मिलते हैं कई तरह के घेवर
कई तरह के घेवर सावन के महीने में मिलते हैं, जिसमें फीका घेवर, मीठा घेवर, ड्राई फ्रूट्स घेवर और मलाई घेवर खास तौर पर मिलते हैं. घेवर में प्रयोग होने वाली सामग्री पर ही घेवर के दाम निर्भर होते हैं. लोगों की पसंद के साथ घेवर के स्वाद में भी बदलाव हुआ है. कुछ साल पहले तक सामान्य और मावा घेवर ही बनाया जाता था. इस समय चाकलेट, वनीला, कीवी और पाइनेप्पल घेवर की मांग भी बढ़ गई है.
डिस्क्लेमर-इस लेख में दी गई सेहत से जुड़ी तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसे किसी बीमारी के इलाज या फिर चिकित्सा सलाह के तौर पर नहीं देखना चाहिए. यहां बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे इसका Zee UPUK कोई दावा नहीं करते हैं. यहां दिए गए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.
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