अखिलेश यादव का सियासी मास्टरस्ट्रोक, जब सबके हैं 'राम' तो समाजवादी पार्टी को याद आए 'परशुराम'
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अखिलेश यादव का सियासी मास्टरस्ट्रोक, जब सबके हैं 'राम' तो समाजवादी पार्टी को याद आए 'परशुराम'

राममंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में भूमिपूजन के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के इस कदम को यूपी सियासत में मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है.परशुराम चेतना पीठ ट्रस्ट के तहत इस प्रतिमा को बनवाने और लगवाने का काम किया जाएगा. इसके लिए देश के बड़े मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति और अटल जी की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार राजकुमार से भी बातचीत चल रही है

परशुराम की प्रतिमा के साथ समाजवादी पार्टी के नेता

लखनऊ: राम मंदिर भूमिपूजन के मौके पर सभी राजनीतिक पार्टियों की ओर से भगवान राम को लेकर जयकारे लगाए गए. खुद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी भूमिपूजन की सुबह सिया के राम को याद किया. अब अखिलेश यादव ऋषि परशुराम की प्रतिमा लगवाने की तैयारी कर चुके हैं. समाजवादी पार्टी का दावा है कि परशुराम की ये प्रतिमा यूपी की सबसे ऊंची और भव्य प्रतिमा होगी. 

  1. समाजवादी पार्टी लगाएगी परशुराम की 108 फीट ऊंची प्रतिमा
  2. प्रदेश में ब्राह्मण वोटों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी का मास्टरस्ट्रोक
  3. BSP भी इससे पहले संगठन के अहम पदों पर ब्राह्मणों को नियुक्त कर चुकी है

जयपुर में बन रही है परशुराम की प्रतिमा
भगवान परशुराम की भव्य प्रतिमा के डिजाइन को फाइनल करने के लिए समाजवादी पार्टी के महासचिव और पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा कुछ और नेताओं के साथ जयपुर में ही मौजूद हैं. परशुराम चेतना पीठ ट्रस्ट के तहत इस प्रतिमा को बनवाने और लगवाने का काम किया जाएगा. इसके लिए देश के बड़े मूर्तिकार अर्जुन प्रजापति और अटल जी की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार राजकुमार से भी बातचीत चल रही है. बताया जा रहा है कि इस प्रतिमा की ऊंचाई 108 फिट रखी जाएगी. 

चुनावी मोड में आ चुकी है समाजवादी पार्टी 
राममंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में भूमिपूजन के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के इस कदम को यूपी सियासत में मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. समाजवादी पार्टी का दावा है कि अगर सही मायनों में किसी ने ब्राह्मणों के सम्मान किया, तो वो समाजवादी लोग ही हैं. सरकार में हिस्सेदारी के अलावा जनेश्वर मिश्रा के नाम पर एशिया का सबसे बड़ा पार्क बना कर भी पार्टी ने ब्राह्मणों का सम्मान किया.  

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ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर मारामारी 
इस वक्त यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक को लेकर सियासत चरम पर है. विपक्षी पार्टियों का दावा है कि विकास दुबे एनकाउंटर और उसके बाद बदले सियासी माहौल में ब्राह्मण बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. ऐसे में सूबे में करीब 10-12 फीसदी माने जाने वाले ब्राह्मण वोट बैंक पर हर किसी की नजर है. समाजवादी पार्टी नेता तो यहां तक दावा कर रहे हैं कि ब्राह्मणों के सम्मान के लिए उनकी पार्टी हमेशा खड़ी रही है. लेकिन ब्राह्मण वोट बैंक को रिझाकर मायावती ने साल 2007 में सत्ता की चाभी हासिल की थी. उसके बाद मायावती पर आरोप लगता रहा कि उन्होंने ब्राह्मणों का इस्तेमाल करने के बाद उन्हें भाईचारा समितियों तक ही सीमित रखा. हालांकि मायावती ने भी इस वक्त की सियासी हवा भांपकर कुछ ही दिनों पहले भाईचारा समितियों को भंग कर दिया और अपनी पार्टी के ब्राह्मण नेताओं को सीधे संगठन के पदाधिकारी के तौर पर पेश करना शुरू किया. 

यूपी में रहे 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री 
उत्तर प्रदेश में अब तक हुए 21 मुख्यमंत्रियों में से 6 ब्राह्मण मुख्यमंत्री हुए हैं. इनमें से नारायणदत्त तिवारी ने तीन बार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाली है. 1980 में आई मंडल कमीशन की रिपोर्ट के बाद प्रदेश में दलित और ओबीसी वर्ग की राजनीति बढ़ी और ब्राह्मण हाशिये पर चले गए. लेकिन आज भी सभी पार्टियां इस बात को मानती हैं कि 10 से 12 फीसदी का ब्राह्मण वोट बैंक जिधर रहता है, उसे ही सत्ता हासिल होती है, ऐसे में हर कोई ब्राह्मणों को रिझाने में जुटा हुआ है. 

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