Shahi Idgah Masjid in Mathura: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण संबंधी इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को अमल में लाने पर रोक लगा दी है.
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Shri Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को अमल में लाने पर रोक लगा दी है. उच्चतम न्यायालय ने शाही ईदगाह के सर्वेक्षण पर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका पर हिंदू संगठन ‘भगवान श्रीकृष्ण विराजमान’ और अन्य से जवाब मांगा है.
मथुरा की शाही ईदगाह सर्वे से जुड़ी बड़ी ख़बर
केस ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट ने उटाए सवाल
हाईकोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर किए थे केस
कमिश्नर नियुक्ति पर हाईकोर्ट आगे ना बढ़े- SC #mathura #supremecourt #shahieidgah #krishnajanmabhoomi @shilparawat_sr pic.twitter.com/G45DOACvTJ— Zee Uttar Pradesh Uttarakhand (@ZEEUPUK) January 16, 2024
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने 14 दिसंबर 2023 के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी, जिसमें मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण अदालत की निगरानी में कराने पर सहमति जतायी गयी थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर में ऐसी निशानियां हैं, जिससे पता चलता है कि यह एक वक्त में मंदिर था. पीठ ने कहा कि कुछ कानूनी मुद्दे खड़े हुए हैं और उसने सर्वेक्षण के लिए अदालती आयुक्त की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष पेश किए ‘‘अस्पष्ट’’ आवेदन पर सवाल उठाए.
पीठ ने हिंदू पक्षों जैसे कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान से कहा, ‘‘आप अदालत आयुक्त की नियुक्ति के लिए अस्पष्ट आवेदन नहीं दे सकते. इसका उद्देश्य बहुत स्पष्ट होना चाहिए. आप सब कुछ अदालत पर नहीं छोड़ सकते.’’ न्यायालय ने हिंदू संस्थाओं को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है. यह स्पष्ट कर दिया कि विवाद से जुड़े मामलों की उच्च न्यायालय में सुनवाई जारी रहेगी.
उच्चतम न्यायालय शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. मस्जिद समिति ने अपनी याचिका में कहा कि उच्च न्यायालय को मुकदमे में किसी भी अन्य विविध आवेदन पर निर्णय लेने से पहले वादपत्र की अस्वीकृति के लिए उसकी याचिका पर विचार करना चाहिए था. समिति ने इस आधार पर याचिका खारिज करने का अनुरोध किया था कि यह मुकदमा प्रार्थना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित है जो धार्मिक स्थल के स्वरूप में बदलाव पर रोक लगाता है.