ज्ञानवापी में 400 साल पुराने नक्शे से आया मोड़, बनारस के विकास के जनक जेम्स प्रिंसेप के मैप से हिन्दू पक्ष का बड़ा दावा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1796794

ज्ञानवापी में 400 साल पुराने नक्शे से आया मोड़, बनारस के विकास के जनक जेम्स प्रिंसेप के मैप से हिन्दू पक्ष का बड़ा दावा

Gyanvapi Mosque Case : ज्ञानवापी का ASI सर्वे का आदेश दिए जाने के बाद हिन्‍दू पक्ष इसे अपनी बड़ी जीत मान रहा है. इस बीच हिन्‍दू पक्ष राम मंदिर आंदोलन की तरह ही जन आंदोलन का रूप में देने में जुट गया है. राम मंदिर की तरह ही इसे भी जन आंदोलन का रूप देने की तैयारी की गई है. 

Gyanvapi Modal

Gyanvapi Mosque Case : वाराणसी के जिले कोर्ट की ओर से ज्ञानवापी का ASI सर्वे का आदेश दिए जाने के बाद हिन्‍दू पक्ष इसे अपनी बड़ी जीत मान रहा है. इस बीच हिन्‍दू पक्ष राम मंदिर आंदोलन की तरह ही जन आंदोलन का रूप में देने में जुट गया है. वहीं, पहले का ज्ञानवापी कैसे था, इसका एक मॉडल तैयार किया है, जिसे जनता के बीच ले जाया जाएगा. 

यह है हिन्‍दू पक्ष का दावा 
हिन्‍दू पक्ष ने दावा किया है कि मुस्लिम आक्रांताओं के हमले से पहले आदि विशेश्‍वर (ज्ञानवापी) मंदिर इस मॉडल की तरह ही दिखता था. यह मॉडल वास्‍तुकारों की मदद से पुराने नक्‍श के आधार पर तैयार किया गया है. इसे बनाने में करीब दो साल का समय लगा है. 30 जुलाई को इस मॉडल को जनता के समक्ष प्रस्‍तुत किया जाएगा. इस दौरान विश्‍व हिन्‍दू परिषद के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे. 

जेम्‍स प्रिंसेप के नक्‍शे को आधार बनाया 
दरअसल, जिस हिन्‍दू पक्ष ईस्‍ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्‍स प्रिंसेप के नक्‍शे को आधार मानकर इसे जन आंदोलन का रूप देने जा रहा है. जेम्स प्रिंसेप के नक्शे को आधार बनाकर हिंदू पक्ष ने आदि विश्वेश्वर मंदिर का मॉडल तैयार किया है. बता दें कि ऐसा दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने 1669 में फरमान जारी कर आदि विशेश्वर के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. 

कौन थे जेम्‍स प्रिंसेप 
जेम्स प्रिंसेप का जन्म 20 अगस्त 1799 को इंग्‍लैंड में हुआ था. उनका जीवन 40 वर्ष का रहा. इसमें 10 साल (1820-1830 तक) उन्‍होंने बनारस में बिताया. उन्‍हें बनारस के विकास का जनक भी कहा जाता है. ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप न होते तो शायद सम्राट अशोक का समृद्ध इतिहास कोई जान ना पाता. अशोक से जुड़े शिलालेखों की खोज फेंथलर ने सर्वप्रथम 1750 ई. में जरूर की लेकिन, प्रिंसेप ने 1837 में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने में सफलता पाई. 

WATCH : कठिन समय में हिम्मत ना हारें यूपी सरकार दे रही आपको 30 हजार रुपये

Trending news