Padma Awards 2023: 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर बुधवार शाम पद्मश्री पाने वालों की सूची जारी की गई है. उसमें एक नाम गोरखपुर के प्रो. विश्वनाथ तिवारी का भी है.
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Padma Awards 2023: केंद्र सरकार ने पद्म पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा करते हुए सूची जारी (Padma Awards 2023 List) कर दी है. जिसमें गोरखपुर शहर (Gorakhpur News) के प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (Vishwanath Prasad Tiwari) का भी नाम शामिल है. साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान (Padma Shri Samman 2023) से सम्मानित किया जा रहा है.
कौन हैं प्रो.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी? (Who is Vishwanath Prasad Tiwari)
प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का जन्म 20 जून 1940 को हुआ था. वह मूल रूप से कुशीनगर के भेड़ीहारी गांव के रहने वाले हैं. पूर्व में उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र गोरखपुर को बनाया. यहीं से अपनी शिक्षा प्राप्त की. वर्तमान में प्रो. तिवारी गोरखपुर के बेतियाहाता में परिवार के साथ रहते हैं. यहीं से अपनी त्रैमासिक पत्रिका "दस्तावेज" का प्रकाशन भी करते हैं. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी साहित्य के साथ एक शिक्षक और शिक्षा में अपने योगदान के लिए भी जाने जाते हैं. वे गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर के साथ हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर भी रहे. साल 2001 में सेवानिवृत्त होने के बाद 2013 से लेकर 2017 तक साहित्य अकादमी के अध्ययक्ष भी रहे.
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रूस का सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान "पुष्किन" भी मिला
प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी अपने साहित्य ज्ञान को लेकर विश्व के कई देशों की यात्रा कर चुके हैं. इनकी मुख्य विधाएं, आलोचना, संस्मरण और कविताएं हैं. उन्हें प्रदेश के सभी बड़े साहित्यिक सम्मान सहित अन्य हिंदी साहित्य सम्मान से नवाजा जा चुका है. वहीं, रूस के सबसे बड़े साहित्यिक सम्मान "पुष्किन" से भी सम्मानित हो चुके हैं. सम्मान की कड़ी में उन्हें 2019 में साहित्य के क्षेत्र में दिए जाने वाले सबसे बड़े भारतीय सम्मान "ज्ञानपीठ" से भी सम्मानित किया जा चुका है. प्रो. विश्वनाथ तिवारी की पत्रिका "दस्तावेज" "सरस्वती सम्मान भी मिल चुका है.
ये सम्मान भी मिल चुके
प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को भारतीय ज्ञानपीठ का प्रतिष्ठित मूर्तिदेवी पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस का पुश्किन सम्मान, शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयनका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद का कृति सम्मान मिल चुका है.
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पद्मश्री सम्मान के निर्णायकों का जताया आभार
प्रो. तिवारी ने जी मीडिया से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं इस बधाई को स्वीकार करता हूं. इससे मुझे भविष्य में बेहतर लेखन के लिए प्रेरणा मिलेगी. मैंने यह सम्मान मांगा नहीं, सरकार ने खुद इससे मुझे नवाजा है. मैं एक लेखक के रूप में कहना चाहता हूं कि सरकार को पद्मश्री सम्मान किसी लेखक को उसके लेखन के गुणवत्ता के आधार पर प्रदान करना चाहिए. अन्य किसी उपाधि पर ध्यान नहीं देना चाहिए .लेखक के लिए लेखन ही महत्वपूर्ण होता है. वही उसका आधार है और उसकी पहचान है. उन्होंने आगे कहा कि अभी बहुत से लोग गुमनाम हैं. देश के सामने उनका ढंग से नाम नहीं आया है. लेकिन यह अच्छी बात है कि सरकार गुमनाम लोगों को खोज कर उन्हें सम्मानित कर रही है. प्रो. तिवारी ने आगे कहा कि पद्मश्री सम्मान के निर्णायकों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं.
यह सम्मान सरकार के निष्पक्षता का प्रमाण है
प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि इस समय मैं 82 वर्ष का हूं. यह सम्मान अगर कुछ समय पहले मिला होता तो मुझे और भी ज्यादा खुशी होती. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को लेखन की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए. परिणाम की चिंता किए बगैर काम करते रहना चाहिए. काम में गुणवत्ता होगी तो परिणाम भी अच्छे ही होंगे. उन्होंने आगे कहा कि इसे पुरस्कार ना कह कर सम्मान कहें, क्योंकि यह भारत सरकार के सबसे सर्वोच्च सम्मान में से एक है. यह पुरस्कार इसलिए अच्छा लग रहा है क्योंकि मैंने यह मांगा नहीं. ना ही इसके लिए कोई प्रयत्न किया. सरकार ने स्वयं इसे दिया. मैं एक तटस्थ लेखक के रूप में 60-65 साल से लिख रहा हूं. उस लेखन का सम्मान मानता हूं. यह सम्मान मेरे जैसे व्यक्ति को मिला तो मैं इसे सरकार का निष्पक्षता का प्रमाण मान रहा हूं.