UP Ki Baat: वैसे तो उत्तर प्रदेश का हर एक शहर और जिले का गौरवशाली इतिहास रहा है. चाहे वह धार्मिक, ऐतिहासिक महत्व हो या फिर व्यापार के लिए. ऐसे ही पश्चिमी यूपी का यह जिला ... पढ़िए पूरी खबर ...
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Hapur Ka Itihas: वैसे तो उत्तर प्रदेश का हर एक शहर और जिले का गौरवशाली इतिहास रहा है. चाहे वह धार्मिक, ऐतिहासिक महत्व हो या फिर व्यापार के लिए. ऐसे ही पश्चिमी यूपी का यह जिला शहर बहुत ही गौरवशाली इतिहास रखता है. पहले हम आपसे पूछते हैं कि क्या आप जानते हैं कि हापुड़ का नाम कैसे पड़ा था. चलिए आज हम आपको बताते हैं.
हापुड़ का नाम कैसे पड़ा
आपको बता दें कि हापुड़ शब्द 'हापर' से बना है. इसका मतलब होता है बगीचा. हापुड़ शहर की स्थापना राजा हरि सिंह ने 983 ईस्वी में हरिपुरा नाम से की थी. कुछ समय बीतने के बाद शहर का नाम हरिपुरा से बदलकर हापुड़ हो गया. यूपी का सबसे नया और छोटा जिले होने के बाद भी यह पूरे राज्य में प्रति व्यक्ति आय में कानपुर जैसे जिले का मात दे रहा है. हापुड़ अपनी सीमा मेरठ. गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर और अमरोहा से सांझा करता है.
सितंबर 2011 में बना था जिला
28 सितंबर 2011 में हापुड़ के यूपी के 75वें जिले के रूप में तत्कालीन मुख्यमंत्री कुमारी मायावती ने गोषित किया था. लेकिन शुरू में इसका नाम पंचशील नगर नाम रका गया था. इसे बाद में जुलाई 2012 में सपा सरकार आने के बाद उस वक्त के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका नाम बदलकर फिर से हापुड़ जिला रख दिया था.
सबसे बड़ी अनाज मंडी
यूपी के सबसे छोटे जिले में पूरे भारत की सबसे बड़ी अनाज मंडी मतलब की अनाज संग्रह करने की संस्था 'साइलो' है. यह संस्था यहां पर अमेरिका के सहयोग से बनाई गई थी. पूरे भारत का खरीदा हुआ अनाज का भंडारण साइलो हापुड़ में ही किया जाता है. इसके अलावा जिले में आलू भंडारण के कोल्ड स्टोर के साथ गुड़ और चमड़ा मंडी भी है.
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