छठ पूजा में महिलाएं संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं. जानते हैं इस साल किस समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.
इस बार छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से हुई. इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है. इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है. इसमें विशेष तौर पर सूर्य देवता और छठ माता की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है.
चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. 19 नवंबर यानी आज छठ पूजा का तीसरा दिन है और आज संध्या अर्घ्य दिया जाएगा.
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि होती है जिसे छठ पूजा की मुख्य तिथि माना जाता है. व्रती इस दिन शाम के समय पूरी श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करते हैं. इस दिन बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है. इस दिन व्रती अपने पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाती हैं. इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है.
इस दिन शुभ मुहूर्त डूबते सूर्य को जल अर्पित किया जाता है. इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 26 मिनट पर है. संध्या अर्घ्य में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ,चावल के लड्डू,गन्ना,मूली और कंदमूल रखकर सूर्य को जल अर्पित किया जाता है.
छठ पर्व का तीसरा दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. यह चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं. छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल, आदि अच्छे से सजाए जाते हैं. एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. ज्योतिषियों का कहना है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं.
सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं. छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं, इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओर मुख करके डूबते हुए सूर्य को पांच बार परिक्रमा करती हैं. अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है. उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है. घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते हैं.
छठ पूजा पर महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का कठोर निर्जला व्रत रखती हैं. ऐसे में किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए.
अगर आपको कोई बीमारी है तो छठ का व्रत रखने से पहले किसी डॉक्टर की सलाह जरूर लें. उपवास के दौरान अपनी दवाइयों को नजरअंदाज न करें.
छठ में व्रती महिलाओं को कम से कम बातचीत करनी चाहिए. ज्यादा बात करने से शरीर कमजोर पड़ने लगता है. तो ऐसे में अपना ज्यादा ध्यान पूजा-पाठ में ही लगाएं.
छठ को अत्यंत सफाई और सात्विकता का व्रत माना जाता है. इसलिए इसमें सबसे बड़ी सावधानी यही मानी जाती है कि इस दौरान साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाना चाहिए.