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यूपी के वो 5 बड़े चेहरे, जिनकी संविधान बनाने में थी अहम भूमिका, हिन्दी-नागरिकता मुद्दे पर नेहरू से भी लड़े

Republic Day Special : भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था लेकिन इसकी प्रक्रिया 4 साल पहले ही संविधान सभा के गठन के रूप में हो चुकी थी. इसमें संयुक्त प्रांत (यूपी/उत्तराखंड) से 57 प्रतिनिधियों समेत कुल 324 सदस्य थे. आइये इनमें से 5 ऐसे चेहरों के बारे में आपको बताते हैं जो उत्तर प्रदेश से थे और जिनके योगदान के बगैर संविधान की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती.

संविधान लागू होने से 4 साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया

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संविधान लागू होने से 4 साल पहले शुरू हुई प्रक्रिया

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ था लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि इसकी प्रक्रिया चार साल पहले ही शुरू हो गई थी. 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश कर संविधान सभा की कार्यवाही शुरू की थी.  संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन की योजना के तहत हुआ, जिसमें कुल 389 सदस्य शामिल किए गए. इनमें ब्रिटिश प्रांतों के 292, देशी रियासतों के 93, और 4 कमिश्नरी क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल थे.  

संविधान सभा की पहली बैठक

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संविधान सभा की पहली बैठक

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, जिसमें मुस्लिम लीग ने भाग नहीं लिया था.  विभाजन के बाद 3 जून 1947 को पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा का गठन हुआ. पुनर्गठित भारतीय संविधान सभा में कुल 324 सदस्य रह गए, जिसमें 70 देशी रियासतों के प्रतिनिधि भी शामिल थे.  

संविधान निर्माण में 114 दिन की बैठकें

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संविधान निर्माण में 114 दिन की बैठकें

संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में कुल 114 दिन बैठकें कीं. इन बैठकों में संविधान को अंतिम रूप देने पर विचार-विमर्श हुआ. संयुक्त प्रांत से 57 प्रतिनिधियों ने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  

पुरुषोत्तम दास टंडन का योगदान

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पुरुषोत्तम दास टंडन का योगदान

हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने में प्रयागराज में जन्मे पुरुषोत्तम दास टंडन की बड़ी भूमिका रही. उन्हीं के प्रयासों से 1949 में हिंदी को राजभाषा और देवनागरी को राजलिपि घोषित किया गया. वे स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक के साथ-साथ हिंदी के प्रबल समर्थक भी थे.  

कमलापति त्रिपाठी का प्रभाव

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कमलापति त्रिपाठी का प्रभाव

कमलापति त्रिपाठी ने "भारत दैट इज इंडिया" शब्द का समर्थन किया और हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने में योगदान दिया. वाराणसी के त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और पत्रकार भी थे. वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रेल मंत्री भी रहे.  

पंडित नेहरू की बहन की भूमिका

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पंडित नेहरू की बहन की भूमिका

इलाहबाद में वर्ष 1900 में जन्मी पंडित नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित संविधान सभा की सदस्य थीं और भारतीय राजनीति में कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहीं. वे संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं. उन्होंने आपातकाल का विरोध करते हुए कांग्रेस छोड़कर जनता दल का समर्थन किया था.   

गोविंद बल्लभ पंत का योगदान

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गोविंद बल्लभ पंत का योगदान

गोविंद बल्लभ पंत, उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और आजादी से पहले दो बार संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके थे. हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने और पहाड़ी क्षेत्रों के विकास में उनका योगदान उल्लेखनीय है. गोविंद बल्लभ पंत का जन्म अल्मोड़ा के खूट गांव में हुआ था. 

अलगू राय शास्त्री और नागरिकता का मुद्दा

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अलगू राय शास्त्री और नागरिकता का मुद्दा

संविधान सभा में अलगू राय शास्त्री ने नागरिकता पर जोरदार बहस की. उन्होंने यह सवाल उठाया कि भारत का नागरिक कौन होगा और इसके मानदंड क्या होंगे. उनके सवालों पर जवाहरलाल नेहरू ने स्पष्ट जवाब दिए.  अलगू राय शास्त्री का जन्म मेरठ के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था.

संविधान सभा के अन्य प्रमुख चेहरे

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संविधान सभा के अन्य प्रमुख चेहरे

संविधान सभा में रफी अहमद किदवई, सुचेता कृपलानी, मौलाना आजाद, और हसरत मोहानी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन सभी ने अपनी अलग-अलग विशेषज्ञता और विचारों से संविधान को समृद्ध और उल्लेखनीय बनाया.

Disclaimer

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लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. ज़ी यूपी/यूके इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि नहीं करता.