कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. प्रदेश के कई ऐसे नेता रहे जिन्होंने देश की राजनीति में परचम लहराया. यूपी से चुनकर संसद जाने वाले कई राजनेता प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे और सरकार चलाई.
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के नूरपुर (मेरठ) में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था. शुरुआती शिक्षा खुर्द गांव में हुई. इसके बाद साल 1923 में उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी और इतिहास में एमए किया.
1929 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए. उनकी पहचान किसान नेता के तौर पर होती है. किसानों के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया. भारत की आजादी के लिए वह कई बार जेल भी गए. उनके सम्मान में हर साल राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है.
1967 में यूपी में कांग्रेस बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रही. चरण सिंह और साथियों के दलबदल से कांग्रेस सरकार गिर गई. इसके बाद चरण सिंह ने प्रदेश में पहली बार गैर कांग्रेस सरकार बनाई. 1970 में एक बार फिर वह यूपी के मुख्यमंत्री बने.
आपात काल के बाद 1977 में आम चुनाव हुआ तो केंद्र में जनता पार्ट की सरकार बनी. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने . जबकि चरण सिंह को गृहमंत्री बनाया गया.
चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक समाजवादी पार्टियों और कांग्रेस यू के सहयोग से प्रधानमंत्री रहे. वह देश के पांचवें प्रधानमंत्री बने. हालांकि उनका कार्यकाल केवल साढ़े पांच महीने तक चला. पीएम रहते वह एक भी दिन संसद नहीं जा पाए थे.
चौधरी चरण सिंह ने अपना जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में गुजारा. वह किसानों से जुड़े मुद्दों पर सड़क से लेकर सदन तक आवाज बुलंद करते रहे.
यूपी में वह भूमि सुधारों के मुख्य वास्तुकार थे. उन्होंने 1939 में डिपार्टमेंट रिडेम्पशन बिल के निर्माण और अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई. इससे देनदारों को बड़ी राहत मिली.
किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह का निधन 28 मई 1987 को नई दिल्ली में हुआ था.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को इसी साल भारत रत्न से सम्मानित किया गया. मोदी सरकार ने उनके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न देने की घोषणा की थी.
चौधरी चरण सिंह के बाद उनके बेट अजित सिंह सियासत में सक्रिय हुए. केंद्र सरकार में मंत्री के साथ बागपत से सांसद रहे. 2021 में कोविड के चलते उनका निधन हुआ. चौधरी चरण सिंह के पोते जंयत चौधरी राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष हैं और केंद्र सरकार में मंत्री हैं.