केंद्र सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती ( Natural Farming) अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके तहत, किसानों को प्रति हेक्टेयर 15,000 से 20,000 रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा सकती है. यह कदम खेती की पारंपरिक पद्धतियों को प्रोत्साहन देगा और किसानों की आय में वृद्धि करेगा.
सरकार एक नेशनल मिशन को मंजूरी देने की तैयारी कर रही है, जो 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर लागू होगा. इस मिशन की कुल लागत 2,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इससे लगभग 1 करोड़ किसान लाभान्वित हो सकते हैं.
योजना के तहत किसानों को इंसेंटिव सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाएगा. यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार को कम करने और बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने में मददगार होगी. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से किसानों को तुरंत आर्थिक लाभ मिलेगा.
इस योजना के तहत 15,000 गांवों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इससे प्राकृतिक खेती के फायदों को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया जाएगा. किसानों को रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में यह एक नया रास्ता दिखाएगा.
सरकार का उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ाना और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है. यह योजना किसानों को कम लागत और ज्यादा फसल उत्पादन के लिए प्रेरित करेगी.
प्राकृतिक खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचता है. यह कदम जलवायु परिवर्तन से निपटने और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, और जय अनुसंधान” के मंत्र को आगे बढ़ा रही है. यह पहल किसानों को आधुनिक और टिकाऊ खेती के प्रति जागरूक करने का प्रयास है.
प्राकृतिक खेती अपनाने से किसानों को लंबे समय तक लाभ मिलेगा. यह न केवल उनकी आय बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें एक स्वस्थ और टिकाऊ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करेगा.
इस योजना से किसान प्राकृतिक खेती के फायदों को समझकर इसे अपनी खेतीबाड़ी का हिस्सा बना सकते हैं. इससे कृषि क्षेत्र में नए आयाम जुड़ेंगे और देश में जैविक खेती का दायरा बढ़ेगा.
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