एक्सप्रेस वे पर गाड़ियों की गति सीमा आमतौर पर 80 से 120 किमी/घंटा होती है, जबकि हाईवे पर यह 60-100 किमी/घंटा हो सकती है. तेज़ रफ्तार में गाड़ी का नियंत्रण कम हो सकता है, इसलिए निर्धारित गति सीमा में ही ड्राइव करें.
सबसे बाईं लेन ट्रकों के लिए, दूसरी लेन बसों के लिए, तीसरी लेन कारों के लिए और सबसे दाईं लेन ओवरटेक के लिए होती है. गलत लेन में चलने से हादसों की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए हमेशा अपनी लेन में ही ड्राइव करें.
ओवरटेक करने के लिए सिर्फ ओवरटेक लेन का ही इस्तेमाल करें और अचानक से गाड़ी को दूसरी लेन में न डालें. ओवरटेक से पहले इंडिकेटर दें और अगर ज़रूरी हो तो हॉर्न बजाकर सामने वाले वाहन को संकेत दें.
किसी भी लेन में जाने से पहले देखें कि पीछे से कोई वाहन आ तो नहीं रहा. पहले इंडिकेटर ऑन करें, फिर सुरक्षित दूरी देखकर ही लेन बदलें.
हेडलाइट सही से काम कर रही है या नहीं, यह पहले ही चेक कर लें. रात में गाड़ी के विंडशील्ड को साफ रखें, ताकि विजिबिलिटी बनी रहे.
फॉग लाइट का इस्तेमाल करें और गाड़ी की रफ्तार धीमी रखें. वाहन पर रिफ्लेक्टर टेप लगाएं, ताकि कम रोशनी में भी अन्य गाड़ियों को दिख सके.
साइड और बैक मिरर में एंटी-ग्लेयर फ़िल्म लगाएं, ताकि रात में पीछे से आने वाली गाड़ियों की लाइट आंखों पर न पड़े. हर कुछ सेकंड में मिरर चेक करें, ताकि आपको आसपास के वाहनों की स्थिति का पता चलता रहे.
एक्सप्रेस वे पर लगातार तेज रफ्तार में ड्राइविंग से थकान हो सकती है, जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है. हर 70-100 किमी के बाद 10-15 मिनट का ब्रेक लें, ताकि आप तरोताजा रहें.
कार में हमेशा पहले से फर्स्ट एड किट, टूल किट और टॉर्च रखें. किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में पास के टोल प्लाजा या हाईवे हेल्पलाइन नंबर पर तुरंत संपर्क करें.
अगर आप इन नियमों और सावधानियों का पालन करेंगे, तो एक्सप्रेस वे और हाईवे पर आपका सफर न केवल सुरक्षित रहेगा, बल्कि आनंददायक भी होगा.