सामूहिक विवाह योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड में वर की आयु 21 वर्ष और कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिये. आप इस योजना का रजिस्ट्रेशन घर बैठे यानी ऑनलाइन पोर्टल पर भी कर सकते हैं.
समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित सामूहिक विवाह योजना के पात्रों को विवाह अनुदान दिया जाता है ताकि वो कम खर्च में वैवाहिक जीवन शुरू कर सकें. विवाह कार्यक्रम के दौरान सरकार द्वारा वर-वधू के लिए आवश्यक आभूषण, कपड़े और अन्य सामग्री प्रदान की जाती है.
सामूहिक विवाह योजना के पात्रों को विवाह समारोह में दाम्पत्य और गृहस्थ जीवन शुरू करने के लिए कन्या के खाते में 35,000 रुपये तो वहीं विवाह संस्कार के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कपड़े, पायल, बर्तन आदि के लिए 10 हजार रुपये दिये जाते हैं.
विधवा या तलाकशुदा के मामले में 5,000 रुपये तक की वैवाहिक सामग्री प्रदान की जाएगी. इसके अलावा विभाग इस अयोजन की सभी व्यवस्थाएं मानक अनुरूप पूरी करने के लिए 6 हजार रुपये प्रति जोड़ा खर्च करेगा.
यह योजना उन्हीं परिवारों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और गरीबी रेखा से नीचे आते हैं. इसके लिए आय प्रमाण पत्र देना होगा. आवेदन कर्ता उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए और उसके पास इसका वैध प्रमाण पत्र होना चाहिए.
विवाह के बाद वर-वधू को विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. समान्य वर्ग को छोड़कर अन्य वर्ग के आवेदनकर्ताओं को जाति प्रमाण पत्र की भी आवश्यकता होगी. विवाह के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए बैंक खाता होना भी आवश्यक है.
उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग ने गरीब परिवार के बेटे और बेटियों के लिए आयोजित किये जाने वाले सामूहिक विवाह योजना के नियमों में कुछ संशोधन किया है. नए गाइडलाइन के मुताबिक जिले में एक स्थान पर 100 या उससे अधिक जोड़ों का विवाह एक ही स्थान पर कराए जाने की स्थिति में विवाह स्थल पर जिलाधिकारी खुद उपस्थित रहेंगे.
इसके अलावा सामूहिक विवाह के दौरान पात्र जोड़ों के पंजीकरण और जांच के लिए मंडल के उपनिदेशक और निकट जनपद के जिला समाज कल्याण अधिकारी भी मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे. कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद विवाह समारोह की विस्तृत रिपोर्ट विभाग को प्रस्तुत की जाएगी.
संशोधित नियमों के मुताबिक सामूहिक विवाह के लिए चयनित जोड़ों में से 10 प्रतिशत जोड़ों का रैंडम वेरिफिकेशन होगा. यह वेरिफिकेशन जिलाधिकारी, राजस्व विभाग या अन्य विभाग के अधिकारियों द्वारा ही किया जाएगा.
वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को मजूबत करने के लिए जिलास्तरीय समिती का गठन किया जाएगा. जांच के दौरान मौके पर उपस्थित आस पड़ोस के व्यक्तियों से पूर्व में विवाह न होने की होगी पुष्टि की जाएगी, ताकि कोई भी अपात्र इस योजना का लाभ न प्राप्त कर सके.
जांच प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए संबंधित खंड विकास अधिकारी, अधिशाषी अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी स्तर से डिजिटल सिग्नेचर से स्वीकृत आवेदन ही सामूहिक विवाह में शामिल हो सकेंगे.