Bhalugad waterfall: यदि आप झरने, एंडवेंचर्स टूरिज्म और प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेना चाहते हैं तो उत्तराखंड के मुक्तेश्वर के पास स्थित भालूगाड़ वाटरफॉल एक बेहतरीन जगह साबित हो सकती है. आइए जानते हैं कैसे यहां तक पहुंच सकते हैं और क्या है इसकी खासियत.
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हल्द्वानी/ अरविंद मिश्रा: यदि आप मुकतेश्वर नैनीताल घूमने जाने की सोच रहे हैं तो भालूगाड़ वाटर फॉल आपके लिए एक अहम डेस्टिनेशन हो सकता है. मुक्तेश्वर में भालूगाड़ झरना कुमाऊं के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है. यहां झरना लगभग 56 फीट ऊपर से 40 फीट गहरे नीचे तालाब में गिरता हैं. प्रकृति की गोद में गिरता झरना पर्यटकों को अपनी ओर लगातार आकर्षित करता है. मुक्तेश्वर जाने वाले पर्यटक एक बार यहां जाने की ख्वाहिश जरूर रखते हैं. मुख्य सड़क से इस झरने तक पहुंचने के लिए करीब डेढ़ से दो किमी पैदल भी चलना पड़ता है. बांज व बुरांश से घिरे घने और साथ में बहती नदी ट्रैक को और खूबसूरत बना देती है. देश-विदेश के सैलानी भालूगाड़ वाटर फॉल को देखने आते हैं.
नेचुरल पैडिक्योर मिलता है
भालूगाड़ वाटर फॉल में मछलियों की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं. कर्नाटक से पर्यटक के तौर पर यहां घूमने आये वैज्ञानिक डॉक्टर राजेश बताते हैं यहां मछली की एक प्रजाति पाई जाती है जो प्राकृतिक तौर पर पैडिक्योर करती है. आमतौर पर लोग पेडीक्योर के लिए एक हजार से पंद्रह सौ रुपए तक बाजार में खर्च करते हैं. लिहाजा वाटरफॉल में नेचुरल पेडीक्योर की यह सुविधा काफी खास है.
मुक्तेश्वर के पास है
उत्तराखंड आने वाले ऐसे पर्यटक जो मुक्तेश्वर पहुंचते हैं. उन्हें भालूगाड़ तक आकर्षित किया जा सकता है. यह मुक्तेश्वर के करीब में है. इस झरने तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को दो किमी तक ट्रैक करना पड़ता है. भालूगाड़ वाटर फॉल का रखरखाव यहां के स्थानीय निवासी कर रहे हैं. वाटरफॉल देखने वाले जो भी पर्यटक आते हैं. उनसे मिली धनराशि को यहां के रखरखाव में खर्च किया जाता हैं. आम तौर पर यहां प्रतिदिन 100-150 पर्यटक और पर्यटन सीजन में 400-500 पर्यटक रोजाना यहां पहुंचते हैं. ग्रामीणों ने यहां के पर्यटन की पूरी व्यवस्था को खुद ही संभाल लिया है. साफ-सफाई की व्यवस्था से लेकर गाइडों की नियुक्ति भी वह खुद करते हैं. भालूगाड़ में पर्यटन विभाग द्वारा बुनियादी सुविधाओं का और विस्तार किया जाए तो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है.