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Valley of Flowers: इन खूबसूरत तस्वीरों में देखें चमोली की 'फूलों की घाटी', दुनिया भर से उमड़ती है भीड़


Valley of Flowers: चमोली विश्व धरोहर 'फूलों की घाटी' नंदादेवी पार्क प्रशासन ने पर्यटकों के लिए खोल दी है.  5 सौ से अधिक फूलों की प्रजातियों का ये घर बेहद खूबसूरत और पर्यटकों को आकर्षित करने वाला है.  Photos में देखें फूलों की घाटी की सुन्दरता के अद्भुत नजारा. 

 

1 जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुलती है घाटी

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 1 जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुलती है घाटी

चमोली जिले में 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित घाटी हर साल 1 जून को पर्यटकों के लिए खोल दी जाती है और 31 अक्टूबर को बंद की जाती है. अक्टूबर के बाद ये घाटी बर्फ की चादर से ढ़की रहती है. कोरोना महामारी के 2 साल बाद खुलने के साथ ही फूलों की घाटी में पर्यटकों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है. 

1931 में अंग्रेजी पर्यटक ने की थी खोज

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1931 में अंग्रेजी पर्यटक ने की थी खोज

फूलों की घाटी की खोज 1931 में अंग्रेजी पर्यटक फ्रैंक स्मिथ ने की थी. वे कामेट पर्वतारोहण के दौरान रास्ता भटककर यहां पहुंच गए थे. यहां से अपने वतन वापसी के बाद उन्होंने 'वैली आफ फ्लावर' नामक पुस्तक में यहां के अनुभवों का जिक्र किया, तब प्रकृति के इस अनोखे तोहफे को विश्व भर में पहचान मिली. विश्व धरोहर का दर्जा मिलने के बाद फूलों की घाटी पर्यटकों की पसंददीदा जगह बन गई है. 

 

उत्तराखंड का राजकीय पुष्प

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 उत्तराखंड का राजकीय पुष्प

फूलों की घाटी 5 सौ से अधिक फूलों की प्रजातियों का घर है, जिसमें ब्रह्मकमल जैसी किस्में भी शामिल हैं, जो कि उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है. अन्य किस्मों में ब्लू पोस्पी, फूलों की रानी, ​​ब्लूबेल, प्रिमुला, पोटेंटिला, एस्टर, लिलियम, हिमालयन ब्लू पोपी, डेल्फीनियम और रैनुनकुलस जैसे फूल भी शामिल हैं. इस क्षेत्र में तेंदुए, कस्तूरी मृग और नीली भेड़ जैसी प्रजातियों के जानवर भी पाए जाते हैं, जो समृद्ध जीव विविधता को दिखाते हैं. 

 

फूलों की घाटी की सैर के लिए शुल्क

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 फूलों की घाटी की सैर के लिए शुल्क

फूलों की घाटी दुनिया का इकलौता पर्यटनस्थल है जहां पर 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं. इसे देखने के लिए भारतीय पर्यटकों को 150 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 600 रुपये का शुल्क देना होता है. 

17 किमी लंबा है मार्ग

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17 किमी लंबा है मार्ग

फूलों की घाटी पर जाने के लिए 10,हजार फीट की ऊंचाई पर 17 किमी पैदल चलना होता है.  ट्रेकर्स के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है.  पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यात्रा मार्ग पर गोविंद घाट व घांघरिया पुलिस चौकी स्थापित की गई है, जिसमें काफी संख्या में जवान तैनात हैं.