सहारनपुर में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक नहीं, खानापूर्ति से जारी होता है लाइसेंस!
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सहारनपुर में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक नहीं, खानापूर्ति से जारी होता है लाइसेंस!

सहारनपुर के परिवहन कार्यालय के पास कोई ड्राइविंग ट्रैक ही नहीं है. एक थोड़ी सी जगह है जो कि प्राइवेट है, जहां निर्माण होने लगा है. यहीं पर वाहनों का फिटनेस किया जाता है तो यहीं पर ड्राइविंग टेस्ट ले लिया जाता है. 

सहारनपुर में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक नहीं, खानापूर्ति से जारी होता है लाइसेंस!

नीना जैन/सहारनपुर: सहारनपुर में संभागीय परिवहन कार्यालय में लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया तो वही है जो होनी चाहिए लेकिन ड्राइविंग टेस्ट के लिए ट्रैक ही नहीं है. जी हां सहारनपुर के परिवहन कार्यालय के पास कोई ड्राइविंग ट्रैक ही नहीं है. एक थोड़ी सी जगह है जो कि प्राइवेट है, जहां निर्माण होने लगा है यहीं पर वाहनों का फिटनेस किया जाता है तो यहीं पर ड्राइविंग टेस्ट ले लिया जाता है. परिवहन विभाग ने 9 ड्राइविंग स्कूलों को मान्यता दे रखी है, जहां से लोग ड्राइविंग सीखते हैं तो साथ में सर्टिफिकेट लाते हैं जिसका मतलब है कि इन्हें ड्राइविंग आती है. 

अधिकारियों की मानें तो पहले पहले आवेदकों से मौखिक जानकारी ली जाती है, अगर मौखिक टेस्ट में वह पास हो जाते हैं तो उसके बाद ड्राइविंग टेस्ट किया जाता है. ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के लिए शासन को लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. जैसे ही फाइनल होगी तो उसके बाद ही यहां पर नियमानुसार भारी वाहनों का भी ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर ही लिया जाएगा. 

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सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन महेंद्र बाबू गुप्ता का कहना है नियमानुसार अब सब कुछ ऑनलाइन हो गया है. अब आवेदक को ही खुद ऑनलाइन सब कुछ करना पड़ता है. फीस भी ऑनलाइन जमा होती है जिसके कारण अब दलालों के पास काम ना के बराबर हो गया है. कार्यालय में दलालों का प्रवेश नहीं हो इसका वह पूरा ध्यान रखते हैं. समय-समय पर कार्रवाई भी की जाती है और सबसे बड़ी बात ड्राइविंग लाइसेंस के लिए पहले मुख्य जानकारी लेते हैं जब उन्हें लगता है व्यक्ति को पूरी मौके की जानकारी है. उसके बाद उसका ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता है. ट्रक अपना ना होने के कारण थोड़ी परेशानी तो होती है लेकिन जिला स्तरीय ड्राइविंग स्कूल के लिए शासनादेश को फाइल भेज रखी है जैसे ही जमीन अलॉट होगी उसके बाद इसमें भी उन्हें राहत मिल जाएगी.

वहीं आरआई अमित कुमार का कहना है कि कार्यालय के पीछे यह थोड़ी सी जगह है, जहां पर मैं मजबूरी बस ड्राइविंग टेस्ट लेते हैं. इसमें जब परेशानी ज्यादा हो जाती है, जब 4745 वाहन आ जाते हैं और उनकी फिटनेस चेक करनी होती है. ऐसे में वह इस मैदान में वाहन खड़ा करें या ड्राइविंग टेस्ट ले क्योंकि यह जगह विभाग की नहीं है. यह किसी अन्य लोगों की है और जिसके कारण में अपनी जमीन पर लगातार निर्माण करते जा रहे हैं और मैदानी एक छोटा होता जा रहा है. कई बार स्थिति ऐसी हो जाती है कि वाहनों को सड़क पर खड़ा करना पड़ता है और सड़क पर भी जाम लग जाता है. 

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